बंबोरी गांव के कबूतरों के पास दाना-पानी की भरमार के साथ ही बैंक-बैलेंस, दुकानें, खेती-बाड़ी और उनकी देख-रेख करने वाले ग्रामीण हैं. हजारों की संख्या में कबूतर सुबह ही नहीं, दोपहर में गांव के आसमान में उड़ान भरते नजर आते हैं.
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Pratapgarh: इंसानों के करोड़पति होने की बात तो आपने काफी बार सुनी होगी लेकिन पक्षियों के करोड़पति होने की बात सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. राजस्थान के उदयपुर में एक ऐसा गांव है, जहां कभी प्यार का पैगाम माने जाने वाले कबूतर करोड़पति हैं.
जी हां, उदयपुर के प्रतापगढ़ जिले की छोटीसादड़ी तहसील के बंबोरी गांव के कबूतर आजकल काफी चर्चा में हैं. हो भी क्यों न...ऐसा इसलिए क्योंकि बंबोरी गांव के कबूतरों के पास दाना-पानी की भरमार के साथ ही बैंक-बैलेंस, दुकानें, खेती-बाड़ी और उनकी देख-रेख करने वाले ग्रामीण हैं. हजारों की संख्या में कबूतर सुबह ही नहीं, दोपहर में गांव के आसमान में उड़ान भरते नजर आते हैं. इनको देखते ही गांव भर के ग्रामीण एक्टिव हो जाते हैं और इनके खाने की व्यवस्था में लग जाते हैं.
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बता दें कि ये कबूतर कोई ऐसे-वैसे कबूतर नहीं हैं. इनकी अहमियत काफी है. लाखों के बैंक बैलेंस के साथ ही करीब 12 बीघा जमीन और दाना चुगने के लिए अपना कबूतर खाना भी है. इनके दाना भंडार साल भर मक्के के दानों से भरे रहते हैं. दिन में दो बोरी मक्का ये कबूतर चुग जाते हैं. इनके दाना चुगने में कोई लेट-लतीफी न हो, इसके लिए गांव के सीनियर सिटीजन ने यह जिम्मेदारी ले रखी है.
400 साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
ग्रामीणों का कहना है कि इसकी शुरुआत उनके पूर्वजों ने 400 साल पहले की थी. इसके बाद इस सफर में कई लोग जुड़ते चले गए. इसके बाद लोगों ने बंबोरी कबूतर खाना व्यवस्था समिति का गठन कर इनके दाना-पानी का इंतजाम किया. अब यह समिति ही इनकी देखभाल करती है.
कबूतरों के दाने पानी में कोई कमी न होने पाए, इसके लिए गांव के ग्रामीणों ने अपने लेवल पर लगभग 12 बीघा जमीन दान कर रखी है. यह व्यवस्था सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए समिति ने बैंक में खाता भी खुलवा रखा है और डेढ़ लाख रुपये की एफडी भी करवा रखी है. परंपरा को बरकरार रखने के लिए युवा भी बुजुर्गों का जमकर साथ दे रहे हैं.