विधायक रामलाल मीणा का कहना है कि किस जिले के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद कोरोना जैसी विकट महामारी के दौर में प्रभारी मंत्री ने जिले का एक भी बार हाल-चाल नहीं जाना.
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Pratapgarh: कांग्रेस का अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अभी गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी (Hemaram Choudhary) का मामला खत्म होता, उससे पहले ही एक और मामला प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में सामने आ गया.
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यहां प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा (Ramlal Meena) और जिले के प्रभारी और जनजाति मंत्री अर्जुन बामनिया (Arjun Bamniya) के बीच का विवाद मंगलवार को खुलकर सामने आ गया. जिले के दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री के कार्यक्रम में जिले का कांग्रेस का एक भी जनप्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ.
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जिले के प्रभारी मंत्री अर्जुन बामनिया कोविड महामारी (Covid epidemic) को लेकर जिले के दौरे पर पहुंचे. मंत्री बामनिया के प्रतापगढ़ पहुंचने पर जिले के सभी कांग्रेस के जनप्रतिनिधि नदारद नजर आए, जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया. यहां मंत्री बामनिया ने जिला अस्पताल के निरीक्षण के साथ ही जिले के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा और जिला प्रमुख इंदिरा मीणा भी नदारद रहे हालांकि इस बीच अधिकारी जनप्रतिनिधियों को बैठक में बुलाने के लिए बार-बार फोन करते रहे लेकिन उसके बाद भी कोई भी जनप्रतिनिधि बैठक में उपस्थित नहीं हुआ.
जिले के जनप्रतिनिधियों ने लगाया आरोप
जिले के जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि जनजाति मंत्री अर्जुन बामनिया ने अपने विभाग से जिले के विकास के लिए एक भी रुपया नहीं दिया है और विकास के मामले में प्रतापगढ़ को नजरअंदाज कर रहे हैं. जिले के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि विधायक रामलाल मीणा के जिले के विकास को लेकर किए गए कार्यों से जिले में जिला प्रमुख से लेकर सरपंच तक अधिकांश सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है.
क्या कहना है विधायक रामलाल मीणा का
इस मामले में विधायक रामलाल मीणा का कहना है कि किस जिले के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद कोरोना जैसी विकट महामारी के दौर में प्रभारी मंत्री ने जिले का एक भी बार हाल-चाल नहीं जाना और जिले में महामारी के कम होने के बाद अब मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए आए हैं. इससे क्षेत्र की जनता और जनप्रतिनिधियों में रोष है.
जिले के विकास में मुख्यमंत्री का पूरा सहयोग
प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा का कहना है कि आदिवासी जिला होने के बावजूद जिले के प्रभारी और जनजाति मंत्री ने पिछले ढाई साल में जिले की एक भी पंचायत को एक रुपया नहीं दिया है. हालांकि उनके जिले की पंचायतों को बजट नहीं देने के बावजूद भी विकास के कार्य रुके नहीं हैं. उन्हें जिले के विकास में मुख्यमंत्री का पूरा सहयोग है. वहीँ मीणा ने हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से इसे अलग बताते हुए मंत्री बामनिया पर भेदभाव के आरोप लगाए है.
Reporter- Vivek Upadhyay