Udaipur News: उदयपुर में एक ऐसा मेला लगता है जो दुनिया में अपने आप में अनूठा मेला है. यह अनूठा मेला सिर्फ महिलाओं के लिए लगता है. यह मेला उदयपुर के महाराणा फतेहसिंह की महारानी की देन है.
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Udaipur News: वैसे तो सावन के महीने में देशभर कई तरह के मेले लगते है लेकिन लेकसिटी उदयपुर में एक ऐसा मेला लगता है जो दुनिया में अपने आप में अनूठा मेला है. यह अनूठा मेला सिर्फ महिलाओं के लिए लगता है. उदयपुर शहर में सहेलियों की बाड़ी और फतह सागर की पाल पर लगने वाले हरियाली अमावस्या के मेले में पुरुषों को प्रवेश पर प्रतिबंध होता है.
लेकसिटी उदयपुर के दो प्रमुख पर्यटन स्थल सहेलियों की बाड़ी और फतहसागर झील पर आज देश की आधी आबादी का कब्जा रहा. दरअसल मेवाड़ में रिहासत काल से सावन महीने की अमावस्या के दिन से दो दिवसीय मेले के लगने की परंपरा है.
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यह मेला उदयपुर के महाराणा फतेहसिंह की महारानी की देन है. उन्होंने एक दिन राजा से कहा कि उदयपुर में लगने वाले हरियाली अमावस्या के मेले का दूसरा दिन सिर्फ महिलाओ के लिए होना चाहिए. महारानी की इच्छा पूरी करते हुए महाराणा फतहसिंह ने दुसरे दिन महिलाओ का मेला लगाने की हामी भर दी. बस फिर क्या था कि इस मेले में अगले दिन पुरूषों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया. रिहासत काल मे यदि कोई पुरुष मेले में प्रवेश कर लेता तो उसे महाराणा के कोप का सामना करना पड़ता था. कालांतर में भी यह परंपरा बदस्तूर जारी है.
वर्तमान में नगर निगम प्रशासन द्वारा इस बात की व्यवस्था की जाती है. मेला परिसर में महिलाओ ओर युवतियों के अलावा कोई और प्रवेश न करें. मेले का आयोजन करने वाली नगर निगम प्रतिवर्ष मेले के आकर्षण को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है. मेले में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम महिलाओं को झूमने पर मजबूर कर देते है.
सखियों के इस मेले का उदयपुर में महिलाओ को पूरे साल इंतजार रहता है. वे इस मेले का जमकर लुत्फ उठाती है. मेले में महिलाओं, युवतियों ओर छोटे बच्चों के अलावा किसी पुरुष को आने की इजाजत नहीं होती है.
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यहां आने वाली महिलाएं इस बात से काफी खुश नजर आती है कि साल में एक ऐसा भी दिन आता है जब वे खुलकर मौज मस्ती कर सकती हैं और उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं होता है. मेले में आई हजारों महिलाओं ने इस मेले का जमकर लुत्फ उठाया और जमकर खरीददारी करने के साथ झूले और खाने पीने की वस्तुओ का भी मजा लिया. मेले में स्वछंद घुमती महिलाएं खासी प्रसंचित नजर आई. यही नहीं पुरुषों के बिना इस मेले में घुमती युवतियों को ऐसा अहसास हुआ जैसे उनके पंख लग गए हो.
उदयपुर में लगने वाला महिलाओं का यह मेला वाकई में दुनिया मे अनूठा है. यह मेला इस बात का प्रमाण भी है कि मेवाड़ में महिलाओं को बराबरी का दर्जा राजा महाराजाओं के काल में ही मिल चुका था.
Reporter- Avinash Jagnawat