दुर्ग पर छोटी-बड़ी गणेश की 50 से अधिक प्रतिमाएं स्थापित है. इसमें डेढ दर्जन गणेश मंदिरों में पूजा अर्चना होती है.
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Chittorgarh: राजस्थान का चित्तौड़गढ़ विख्यात दुर्ग यूं तो शिव उपासक रहा है लेकिन यहां रिद्वि-सिद्वी के दाता भी सबसे पहले पूजे गए हैं. यही कारण है कि दुर्ग पर भगवान गणेश को समर्पित एक दरवाजे का नाम गणेश पोल है. वहीं, दुर्ग पर अच्छी बारिश की कामना को लेकर एक गणेश प्रतिमा (Ganesh idol) भी है, जिसे बरखा गणेश (Barkha Ganesh) कहा जाता है.
दुर्ग पर यूं तो सबसे ज्यादा शिव मंदिर है. लेकिन इसमें दूसरे नंबर पर अगर कोई मंदिरों या भगवान की मूर्तियों की संख्या आती है तो ये गणेश मंदिर है. दुर्ग पर ख्याति प्राप्त व विभिन्न दर्शनों वाली गणेश प्रतिमाएं है. बताते हैं कि दुर्ग पर छोटी-बड़ी गणेश की 50 से अधिक प्रतिमाएं स्थापित है. इसमें डेढ दर्जन गणेश मंदिरों में पूजा अर्चना होती है.
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दुर्ग पर राजकीय फतहप्रकाश महल संग्रहालय (Fateh Prakash Mahal Museum) में मुख्य एंट्री गेट हाल का नामकरण भगवान गणेश को ही समर्पित है. इस हाल में कांच के घर में चित्तौड़ किले का व्यू प्रदर्शित है. इसके सामने ही एक दीवार में गणेश की छह फीट लंबी आदमकद गणेश प्रतिमा है, जो उत्तरी मुखी है. मोदक स्वरूप गणेश प्रतिमा इस हाल में होने से इस हाल का नामकरण गणेश हाल ही रखा हुआ है. इस प्रतिमा की पूजा अर्चना भी होती है. पर्यटक भी दर्शन करने के बाद ही आगे कदम बढाते हैं.
क्यों कहते है बरखा गणेश मंदिर
बरखा गणेश दुर्ग पर जैन सातबीस देवरी के सामने ही एक गणेश प्रतिमा स्थाापित है. जिसे बरखा गणेश कहा जाता है. पंडित अरविंद कहते हैं कि बारिश की कामना इस प्रतिमा के समक्ष की जाती है. वरिष्ठ गाइड व फोटोग्राफर केके शर्मा का कहना है कि उनके पिता स्व बंशीलाल शर्मा के समय से 40-50 साल पहले से इस बरखा गणेश प्रतिमा के समक्ष हवन, पूजन करके बारिश की कामना की जाती रही है. चमत्कार कई बार हुआ कि जैसे ही पूजा अर्चना कर भोग लगाया गया तो बारिश हो गई. इसकी पूजा-अर्चना गोपाल शर्मा करते हैं. बारिश के मौसम में जब लंबे समय तक बारिश नहीं होती है तो दुर्गवासी व अन्य भक्त यहां पूजन कर अच्छी बारिश की कामना करते हैं. इसलिए इसे बरखा गणेश मंदिर कहते हैं.
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गणेश पोल दुर्ग के सभी नौ दरवाजों का नामकरण है. इसमें दुर्ग से उतरते हुए चैथा दरवाजा भगवान गणेश को ही समर्पित है. इसका नामकरण गणेश पोल के रूप में ही है. इस दरवाजे के पास भगवान गणेश का प्राचीन छोटा मंदिर भी है.
अष्ठ हाथ विनायक महादेवरा में खड़ी मूर्ति है. दुर्ग पर कुकडेश्वर कुंड के पास महादेवरा स्थान पर गणेशजी की खड़ी मूर्ति है. इस मूर्ति को दुर्लभ बताया जाता है. इसे अष्ठ हाथ विनायक भी कहा जाता है. खडे़ गणपति की प्रतिमा दुर्लभ मानी जाती है.
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दुर्ग पर मीरा मंदिर उत्तरी दिशा में रिद्वी सिद्वी विनायक प्रतिमा लगी है. गाइड सुनिल सेन के अनुसार ये गणेश मूर्ति इसलिए स्पेशल है क्योंकि गणेश प्रतिमा में सूंड राइट में होती है, जबकि इस मूर्ति में सूंड लेफट में है. इसलिए कहा जाता है कि एक हजार गणेश प्रतिमाओं के बाद इस तरह की मूर्ति बनती है.
विजय स्तंभ के पास ही उत्तरी व पूर्वी जौहर गेट पर नृत्यरत गणेश प्रतिमाएं है. विजय स्तंभ के नौंवे शिखर व अंदर भी गणेश प्रतिमाएं (Ganesh idols) हैं.
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दुर्ग पर तुलजा भवानी मंदिर (Tulja Bhavani Temple) के पास राजपुरोहित गणेश मंदिर (Rajpurohit Ganesh Temple) है. वहीं, रामपोल से आगे घाटी गणेश मंदिर है. मृगवन के अलावा सूरजपोल गेट के पास भी गणेश प्रतिमा लगी है. कुंभा महल में भी लक्ष्मी गणेश प्रतिमा है. नीलकंठ महादेव मंदिर सहित अन्य जगहों पर भी प्राचीन गणेश प्रतिमाएं लगी है.
Report- DEEPAK VYAS