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वडोदरा: गुजरात से मुंबई (Gujarat to Mumbai) जा रही राजधानी एक्सप्रेस (Rajdhani Express) घायल मगरमच्छ (Injured Crocodile) की जान बचाने के लिए करीब आधे घंटे तक रुकी रही. दरअसल, रेलवे की पेट्रोलिंग टीम ने मंगलवार तड़के ट्रैक पर एक घायल मगरमच्छ को देखा, जो दर्द से तड़प रहा था. टीम ने तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद सुपरफास्ट ट्रेन को करीब आधे घंटे रह रोके रखा गया. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में मगरमच्छ को ट्रैक से हटाने के बाद ही ट्रेन वहां से रवाना हुई.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, आठ फीट लंबा मगरमच्छ (Crocodile) रेलवे ट्रैक पर तड़प रहा था. उसके सिर में गहरी चोट थी. पेट्रोलिंग टीम की सूचना पर तुरंत राजधानी एक्सप्रेस को रुकने को कहा गया. इस ट्रेन के 25 मिनट रुकने से वडोदरा-मुंबई लाइन पर चलने वाली अन्य ट्रेनों को भी लगभग 45 मिनट तक रोके रखा गया. रेल अधिकारियों ने वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स को घटना की जानकारी दी, ताकि घायल मगरमच्छ को जान बचाई जा सके.
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रेलवे अधिकारियों के साथ-साथ विशेषज्ञों ने मगरमच्छ को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन सिर पर लगी गंभीर चोट की वजह से उसकी मौत हो गई. वन्यजीव कार्यकर्ता हेमंत वाधवाना ने बताया कि कर्जन रेलवे स्टेशन के अधीक्षक ने लगभग 3.15 बजे उन्हें फोन कर ट्रैक पर मगरमच्छ के पड़े होने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मगरमच्छ कर्जन मियागाम रेलवे स्टेशन से करीब पांच किलोमीटर दूर है.
जानकारी मिलते ही हेमंत वाधवाना पशु कार्यकर्ता नेहा पटेल के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि घटनास्थल तक जल्दी पहुंचना संभव नहीं था. हालांकि, हमारे पहुंचने पर हमें पता चला कि रेल अधिकारियों ने राजधानी एक्सप्रेस को लगभग 25 मिनट के लिए रोक दिया था, ताकि हम ट्रैक पर जाकर मगरमच्छ को रेस्क्यू कर सकें. वन्यजीव कार्यकर्ता ने बताया कि मगरमच्छ कुछ देर से अपना जबड़ा हिला रहा था. हमने इसकी जांच की और पाया कि इसके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं. अफसोस की कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो गई.
मगरमच्छ को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बाद ही ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सकी. कर्जन मियागम के स्टेशन अधीक्षक संतोष कुमार ने बताया कि घायल मगरमच्छ की जान बचाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन दुर्भाग्य से उसे बचाया नहीं जा सका. बाद में मृत मगरमच्छ को किसान ट्रेन से कर्जन रेलवे स्टेशन पर लाकर वन विभाग को सौंप दिया गया. गौरतलब है कि ट्रेनों से कटकर अक्सर वन्यजीवों की मौत होती रहती है.