कृषि कानूनों (Farm laws) की वापसी पर अड़े किसान 6 महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और सरकार से उनकी हर बातचीत अब तक बेनतीजा ही रही है. ऐसे में कई बार किसानों को मनाने को कोशिश हुए लेकिन हर कानूनों की वापसी से कम कुछ भी प्रदर्शनकारी किसानों को मंजूर नहीं है.
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े किसान 6 महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और सरकार से उनकी हर बातचीत अब तक बेनतीजा ही रही है. ऐसे में कई बार किसानों को मनाने को कोशिश हुए लेकिन हर कानूनों की वापसी से कम कुछ भी प्रदर्शनकारी किसानों को मंजूर नहीं है. अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्र सरकार को धमकी तक दे दी है.
राकेश टिकैत ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि अब सरकार का इलाज करना पड़ेगा ये माननी वाली नहीं है. उन्होंने इसके साथ ही किसानों से ट्रैक्टर तैयार रखने को कहा है ताकि फिर से दिल्ली कूच किया जा सके. टिकैत ने केंद्र सरकार को आंदोलन (Farmers Protest) तेज करने की चेतावनी भी दे डाली है.
सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा। #FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) June 20, 2021
संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में करीब 40 किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं और इस प्रदर्शन को 26 जून को सात महीने पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में आंदोलन तेज होने की पूरी आशंका है. 26 जून को ही किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि भी है. किसान दिल्ली के गाज़ीपुर, टीकरी और सिंघू बॉर्डर पर 26 नंवबर से धरना दे रहे हैं. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करे और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दे.
सरकार और किसान यूनियनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है. आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी. 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत रुक गई थी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 जनवरी 2021 को इन तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को अगले आदेश तक के लिये स्थगित कर दिया था. साथ ही गतिरोध को दूर करने के लिये चार सदस्यीय कमेटी की नियुक्ति की थी.
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हालांकि इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिये जाने से एक बार फिर इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार इन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर शुरू करने को तैयार है.