बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद मामले में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की ओर से लगातार हमले के बीच वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने चुप्पी तोड़ी है.
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नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद मामले में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की ओर से लगातार हमले के बीच वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने चुप्पी तोड़ी है. सिब्बल ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री और बीजेपी के लोग उनपर हमला करने से पहले तथ्यों की पड़ताल कर लेनी चाहिए थी. उन्हें मालूम होना चाहिए कि मैं सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड का वकील नहीं हूं. ना ही मैंने वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद मामले की सुनवाई 2019 के बाद करने की मांग की थी. कपिल सिब्बल से जब पूछा गया क्या वे नहीं चाहते की अयोध्या में राम मंदिर बने? इसके जवाब में उन्होंने कहा अयोध्या में बीजेपी या पीएम मोदी नहीं राम मंदिर बनवा सकते हैं, इस मामले में मेरी उनमें कोई आस्था नहीं है. भगवान राम जब चाहेंगे तभी अयोध्या में राम मंदिर बनेगा. मेरी आस्था भगवान राम में है. इससे पहले पीएम मोदी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के साहस की सराहना की, जिसने कपिल सिब्बल के बयान से किनारा कर लिया है.
कपिल सिब्बल ने पलटवार में कही ये 5 बातें
1. हमारे प्रधानमंत्री कई बार बिना जानकारी के कई बार बयान दे जाते हैं. बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री ने कहा है कि मैं राम मंदिर और बाबरी मस्जिद केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड का वकील हूं, जबकि मैं कभी भी उनका वकील नहीं रहा.
2. जब भगवान राम चाहेंगे तभी राम मंदिर बनेगा, न की राम मंदिर पीएम मोदी के कहने से बनेगा, मामला कोर्ट में है.
3. क्या मैं देश की किसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता? तो प्रधानमंत्री को अपने बयान पर कुछ कहना चाहिए, क्योंकि उनकी कही बात से देश में बेमतलब का विवाद पैदा हो गया है.
4. मैं पीएम मोदी से आग्रह करता हूं कि वे आगे से कुछ भी बोलने से पहले तथ्यों की सही से पड़ताल कर लें.
5. मेरी भगवान में आस्था है. पीएम मोदी में मेरी कोई आस्था नहीं है. वे राम मंदिर बनाने नहीं जा रहे हैं, ये भगवान राम की इच्छा से ही संपन्न होगा. इस मामले में आखिरी फैसला कोर्ट लेगा.
#WATCH: "PM did not check the fact that actually I never represented the Sunni Waqf Board in the Supreme Court and yet he thanked them, request PM to be a little more careful before making such public comments" says Kapil Sibal #Ayodhya pic.twitter.com/Yj0bPrmha0
— ANI (@ANI) December 6, 2017
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा, सिब्बल के बयान से सहमत
पहले कपिल सिब्बल से किनारा करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के सुर बुधवार शाम तक बदल गए. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने बुधवार शाम को एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधत्व कर रहे वकील ने अपने क्लाइंट्स के कहने पर ही मुकदमे को टालने की अपील की थी. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस बयान के बाद अयोध्या केस के याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा, 'अगर जिलानी साहब यह कहते हैं कि कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कोर्ट में जो कहा वह सही है तो मैं भी इससे सहमत हूं. मैं इस बारे में और ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं.'
जिलानी ने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल के बयान और दलील को सही ठहराता है. उन्होंने कहा कि विभिन्न नेताओं द्वारा राम मंदिर निर्माण और उसकी जगह के बारे में दिया जा रहा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. यह मामला कोर्ट में है और उम्मीद करता हूं कि इस बारे में कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होगी.
गौरतलब है कि वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इस मामले की सुनवाई को 2019 लोकसभा चुनावों तक स्थगित किया जाए. सिब्बल का यह बयान सामने आते ही राजनीतिक भूचाल आ गया है. पहले तो इस मसले पर बीजेपी ने उन पर हमला बोला और अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ही अब उनकी दलील से किनारा कर लिया है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार हाजी महबूब ने सिब्बल के बयान को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि हां, कपिल सिब्बल हमारे वकील हैं लेकिन वो एक राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े हुए हैं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उनका बयान गलत था. हम इस मामले में जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हम इस लड़ाई को लंबे समय से लड़ रहे हैं. हम कोर्ट से इसका जल्दी समाधान चाहते हैं. मैं व्यक्तिगत तौर पर उनके इस दलील से सहमत नहीं हूं कि 2019 तक सुनवाई टाल दी जाए. उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर के लिए संसद में कानून लाने से पीएम मोदी को बचना चाहिए. उनका कहना था कि मुस्लिम पक्ष ने मामले को जीत लिया है. इसके बाद मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि को सौंपने का कोई विचार नहीं होना चाहिए.