Google की नहीं, बरेली की बेटी रश्मि की देन है भारतीय डिजिटल मैप, जानिए सफर
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Google की नहीं, बरेली की बेटी रश्मि की देन है भारतीय डिजिटल मैप, जानिए सफर

रश्मि वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बरेली में हुआ. 70 के दशक में जब छोटे शहरों की लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करना इतना आसान नहीं था उस समय रश्मि ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की.

मैप माय इण्डिया की को-फाउण्डर रश्मि वर्मा (फोटो साभार ट्विटर).

नई दिल्ली: हम में से ज्यादातर लोग समझते हैं कि हमें रास्ते दिखाने वाला इंटरेक्टिव डिजिटल मैप (Digital Map) गूगल (Google) की देन है लेकिन ऐसा नहीं. भारत का पहला डिजिटल मैप भारतीय महिला टेक्नोक्रेट रश्मि वर्मा की देन है. रश्मि वर्मा ने Google से बहुत पहले भारत में डिजिटल मैप बना दिया था. रश्मि वर्मा ने डिजिटल मैप डेटाबेस बिजनेस सीई इन्फोसिस्टम्स (CE Infosystems) की स्थापना की जिसे बाद में MapmyIndia के नाम से जाना गया.

  1. रश्मि राकेश ने 10 साल बिना सैलरी किया काम

    अमेरिका की बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़ आईं भारत

    90 के दशक में MapMyIndia की हुई शुरुआत

अमेरिका की बड़ी नौकरी छोड़ बसीं भारत में
रश्मि ने उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बरेली की गलियों से लेकर अमेरिका की शीर्ष तकनीकी कंपनियों तक का सफर तय किया. MapmyIndia के लिए उन्होंने अमेरिका की बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़ दी और दिल्ली में आकर बस गईं. 90 के दशक में भारत में उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की. उन्होंने बाजार में स्मार्ट फोन आने से काफी पहले ही नक्शे बना दिए थे. रश्मि के इस काम में साथ दिया उनके पति राकेश वर्मा ने. राकेश और रश्मि ने डिजिटल मैप पर काम करना शुरू किया और 1992 में MapmyIndia की स्थापना कर दी.

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गूगल से पहले बनाया डिजिटल मैप
2005 से उनके बनाए डिजिटल मैप टेलीकॉम नेटवर्क पर उपलब्ध हो गए तब तक भी Google मैप बाजार में नहीं था. रश्मि बताती हैं कि उस समय नेविगेशन के लिए कोई उपकरण नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने पोर्टेबल डिवाइस उपलब्ध कराए जो जीपीएस पर काम करते थे. खास बात यह थी कि इसके उपयोग के लिए डेटा कनेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती थी क्योंकि उस समय. इंटरनेट इतना सुलभ नहीं था.

जानिए, कौन हैं रश्मि
रश्मि का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बरेली में हुआ. वह शुरुआत से ही पढ़ाई में बेहद तेज थीं. शुरू से ही उन्हें कुछ अलग करने की रुचि थी. रश्मि लगातार कड़ी मेहनत करतीं गईं. 70 के दशक में जब छोटे शहरों की लड़कियों के लिए शिक्षा हासिल करना इतना आसान नहीं था उस समय रश्मि ने आईआईटी रुड़की (Indian Institute of Technology Roorkee) से इंजीनियरिंग की. वह 1973 में तबके रुड़की विश्वविद्यालय (अब आईआईटी) में कैमिस्ट्री इंजीनियरिंग की नौ छात्राओं में से एक थीं.

1975 में इंजीनियरिंग के अपने तीसरे वर्ष के दौरान उन्होंने राकेश से शादी की, जो न केवल जीवन में बल्कि व्यवसाय में भी उनके साथी बन गए. शादी के एक साल बाद ही राकेश रश्मि वाशिंगटन चले गए जहां से उन्होंने ऑपरेशनल रिसर्च एंड कंप्यूटर साइंस में मास्टर की पढ़ाई की.

1984 में छोड़ी IBM की नौकरी
मास्टर के बाद, उन्होंने सिटी कॉर्प जॉइन की जहां उन्होंने बड़ी वॉल स्ट्रीट बैंक की आईटी को संभाला. 1984 में आईबीएम जॉइन करने के बाद रश्मि ने महसूस किया कि दुनिया डिजिटल प्रौद्योगिकी और इसके सॉल्यूशन की तरफ आगे बढ़ रही है. छह साल तक दिग्गज तकनीकी कंपनियों में सेवा देने के बाद रश्मि वापस अपने देश आने का मन बना चुकी थीं. उन्होंने तय किया वह कुछ ऐसा करेंगी जो भारतीयों के जीवन को बदल दे.

पति-पत्नी की जोड़ी हुई हिट
इसके बाद पति-पत्नी की इस जोड़ी ने भारत के पहले ‘solution-driven mapping program’ पर काम करना शुरू किया. तब उन्हें पता था कि यह आसान नहीं है लेकिन वह लगे रहे. 90 का दशक भारत के लिए औद्योगिकीकरण और वैश्वीकरण के लिए नवोदित समय था. इसी दौरान कोका कोला, जेरॉक्स, मोटोरोला आदि बड़ी कंपनियों ने भारत पर निगाह टिका दी थी. यह उनके लिए भारतीय बाजार में वैश्विक रुचि का लाभ उठाने का समय था. रश्मि और राकेश ने सही समय पर MapMyIndia को लॉन्च कर दिया. उनकी मैपिंग कंपनी ने जीआईएस क्षेत्र में कदम रखा और डिजिटल मैप डेटा, जीपीएस नेविगेशन, स्थान-आधारित सेवाएं (एलबीएस), जीआईएस आदि में एक अग्रणी कंपनी बनकर स्थापित हुई.

दस साल तक नहीं ली सैलरी
इसके बाद उन्होंने सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी ComputerEyes शुरू की. टाटा स्टील और IBM से उन्हेंन प्रोजेक्ट मिलना शुरू हुए. इसके बाद राकेश और रश्मि ने अप्रत्याशित आर्थिक बढ़त हासिल की लेकिन उन्हें संतोष नहीं मिला. 1995 में अमेरिका में एक प्रदर्शनी के दौरान रश्मि ने अमेरिका का डिजिटल नक्शा देखा. रश्मि का मानना था कि भारत में भी इस तरह का एक बड़ा अवसर है. आगामी 10 वर्षों में डिजिटल मैप की आवश्यकता होगी. रश्मि और उनके पति को पता था कि यह आसान नहीं है. 10 साल का प्रोजेक्ट बनाया इस दौरान कंपनी के हर कर्मचारी को समय पर वेतन और प्रोत्साहन मिला लेकिन राकेश और रश्मि ने इन दस वर्षों में एक बार भी अपनी सैलरी नहीं ली.

आज बड़ी कंपनियां हैं निर्भर
आज MapmyIndia द्वारा बनाए गए इन-बिल्ट डिजिटल मैप सॉल्यूशंस का उपयोग टाटा मोटर्स, हुंडई, बीएमडब्ल्यू, फोर्ड, जगुआर, टीवीएस मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा किया जाता है. इसके मैप्स में फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और ओला कैब्स की भी शामिल है.

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