सर्जिकल स्ट्राइक: 'आसान नहीं थी वापसी, कानों के पास से निकल रही थी गोलियां'
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सर्जिकल स्ट्राइक: 'आसान नहीं थी वापसी, कानों के पास से निकल रही थी गोलियां'

किताब में कहा गया है, ‘‘टीम लीडर के रूप में मेजर टैंगो ने सहायक भूमिका के लिए खुद से सभी अधिकारियों और कर्मियों का चयन किया. उन्हें इस बात की अच्छी तरीके से जानकारी थी कि 19 लोगों की जान बहुत हद तक उनके हाथों में थी.’’

सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उरी हमले में नुकसान झेलने वाले यूनिटों के सैनिकों के इस्तेमाल का निर्णय किया. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सर्जिकल स्ट्राइक की अगुवाई करने वाले मेजर ने कहा कि हमला बहुत ठीक तरीके से और तेजी के साथ किया गया था, लेकिन वापसी सबसे मुश्किल काम था और दुश्मन सैनिकों की गोली कानों के पास से निकल रही थी. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के एक वर्ष पूरा होने पर प्रकाशित किताब में सेना के मेजर ने उस महत्वपूर्ण और चौंका देने वाले मिशन से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया है. ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस : ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिट्री हीरोज’ शीर्षक किताब में अधिकारी को मेजर माइक टैंगो बताया गया है.

सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उरी हमले में नुकसान झेलने वाले यूनिटों के सैनिकों के इस्तेमाल का निर्णय किया. घटक टुकड़ी का गठन किया गया और उसमें उन दो यूनिट के सैनिकों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने जवान गंवाए थे. किताब में कहा गया है, ‘‘रणनीतिक रूप से यह चालाकी से उठाया गया कदम था, अग्रिम भूमि की जानकारी उनसे बेहतर शायद ही किसी को थी. लेकिन कुछ और भी कारण थे.’’ उसमें साथ ही कहा गया है, ‘‘उनको मिशन में शामिल करने का मकसद उरी हमलों के दोषियों के खात्मे की शुरुआत भी था.’’ मेजर टैंगो को मिशन की अगुवाई के लिए चुना गया था.

किताब में कहा गया है, ‘‘टीम लीडर के रूप में मेजर टैंगो ने सहायक भूमिका के लिए खुद से सभी अधिकारियों और कर्मियों का चयन किया. उन्हें इस बात की अच्छी तरीके से जानकारी थी कि 19 लोगों की जान बहुत हद तक उनके हाथों में थी.’’ इन सबके बावजूद अधिकारियों और कर्मियों की सकुशल वापसी को लेकर मेजर टैंगो थोड़े चिंतित थे. किताब में उनको यह याद करते हुए उद्धत किया गया है, ‘‘वहां मुझे लगता था कि मैं जवानों को खो सकता हूं.’’ 

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