DNA: अदृश्य दुश्मन से हो जाइए सावधान, जो सीधे आपकी सेहत पर कर रहा अटैक
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DNA: अदृश्य दुश्मन से हो जाइए सावधान, जो सीधे आपकी सेहत पर कर रहा अटैक

Micro Plastic का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होता है. इसको लेकर कई रिसर्च चल रही हैं. ऐसी ही एक रिसर्च अमेरिका की environmental health perspective नामक संस्था ने की.

DNA: अदृश्य दुश्मन से हो जाइए सावधान, जो सीधे आपकी सेहत पर कर रहा अटैक

Invisible Enemy: आपको प्लास्टिक हर जगह मिल जाएगा. अब तो पानी और हवा की तरह प्लास्टिक के बिना भी जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती. कप से लेकर हवाई जहाज तक हर चीज में प्लास्टिक है. और सिर्फ इतना ही नहीं...जिस तरह हवा दिखाई नहीं देती लेकिन होती है. उसी तरह हमारे वातावरण में प्लास्टिक होता है जो दिखाई नहीं देता. जिन्हें विज्ञान की भाषा में Micro-plastic कहते हैं. 

 Micro Plastic क्या है- आकार में 5 मिली मीटर से छोटे प्लास्टिक के कणों को Micro Plastic कहते हैं. उदाहरण के तौर पर..जब सड़क से घर्षण की वजह से टायर घिसते हैं तो इससे Micro Plastic बनते है. प्लास्टिक के बड़े सामान जैसे बर्तन वगैरह जब छोटे टुकड़ों में टूटते हैं, तो उनसे भी Micro Plastic बनता है.

Industries से निकलने वाला Plastic कचरा जब Degrade होता है यानी छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता है तो उससे भी Micro Plastic बनते हैं. Synthetic कपड़ों से भी Micro Plastic निकलता है.

Micro Plastic का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होता है. इसको लेकर कई रिसर्च चल रही हैं. ऐसी ही एक रिसर्च अमेरिका की environmental health perspective नामक संस्था ने की. रिसर्च में चूहों को चार हफ्तों तक पानी के जरिये Micro Plastic दी गई. Micro Plastic को Infuse करके चूहों के अंगों पर उसके असर का अध्ययन किया. जिसके नतीजे 10 अप्रैल को जारी किये गये हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि..
- जिन चूहों को Micro Plastic दिया गया, उनके लीवर और दिमाग के Tissues में बदलाव दिखाई दिये.
- चूहों के Behaviour और Immune System में भी बदलाव आया.
- चूहे, इंसानों में Dementia के लक्षणों वाला बर्ताव करने लगे.
- चूहों पर हुए परीक्षण में Micro Plastic के शरीर पर पड़ने वाले असर का पता लगाया. लेकिन सोचिये...चूहों को तो सिर्फ चार हफ्ते ही Micro Plastic दी..लेकिन इंसानो को जीवनभर Micro Plastic निगलना पड़ रहा है. मानव शरीर पर Micro Plastic का क्या असर होता है..इसको लेकर भी कई Studies हुईं हैं..

Journal Environment International में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी में 22 अलग-अलग लोगों के खून के नमूने लिए गए..इनमें से 80 प्रतिशत व्यक्तियों के खून में Micro Plastic पाया गया है. Study में एक और बात सामने आई है कि मानव शरीर में Micro Plastic घूम सकता है और शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है.

Micro Plastic शरीर के लिए कितना नुकसानदायक है....ये जानने और समझने के लिए हमने डॉक्टरों से बात की है..जिनके मुताबिक...
- पाचन तंत्र को नुकसान
Micro Plastic, आंतों में घुसकर पेट दर्द और सूजन का कारण बन सकती है.
श्वसन तंत्र को नुकसान
Micro Plastic, फेफड़ों में प्रवेश कर सकती है जिससे खांसी, सांस लेने में तकलीफ और अस्थमा हो सकता है.

प्रजनन तंत्र को नुकसान
Micro Plastic, बांझपन और गर्भपात का कारण बन सकती है.

कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.
Micro Plastic, शरीर में जाकर DNA को नुकसान पहुंचा सकती है और कोशिकाओं को खराब कर सकती है.

Micro Plastic के साथ सबसे बड़ी दिक्कत की बात ये है कि इसके असर से बचना मुश्किल ही नहीं..नामुमकिन है. क्योंकि Micro Plastic..वातावरण में वैसे ही घुल चुकी है जैसे हवा में ऑक्सीजन..

Environmental science and technology journal की स्टडी में पता चला है कि..लोग हर साल 39,000 से 52,000 Micro Plastic के कणों को निगल जाते हैं

American Institute Of Physics की स्टडी कहती है कि एक हफ्ते में जितनी Micro Plastic हमारे शरीर में जमा होती है, उससे एक Credit Card बन सकता है. Micro Plastic के कण..वातावरण की हवा में भी हैं जहां आप सांस लेते हैं. Microplastic के कण पानी में भी हैं..जो आप पीते हैं...

अमेरिका में Columbia University के Researchers ने पाया है कि बोतलबंद पानी में पहले के अनुमानों की तुलना में 100 गुना ज़्यादा Micro Plastic हो सकते हैं...फ़ैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी और शहरी इलाक़ों से निकलने वाले Plastic Waste से नदियों और झीलों के साथ साथ समंदरों तक में Micro Plastic मिल रही है...

लेकिन प्लास्टिक बाहरी दुनिया में नहीं...हमारे शरीर के अंदर भी जगह बना चुकी है. आज हर चीज में प्लास्टिक मौजूद है. आप चाहकर भी इस प्लास्टिक को निगलने से नहीं बच सकते. और प्लास्टिक के क्या नुकसान होते हैं इससे पूरी दुनिया वाकिफ है..लेकिन दिक्कत ये है कि हम प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचने की बात तो करते हैं लेकिन प्लास्टिक से चिपके भी रहते हैं. पिछले पचास वर्षों के दौरान पूरी दुनिया में Production तेजी से बढ़ा है.

मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में हर साल 350 अरब किलो प्लास्टिक का उत्पादन होता है. जिसमें से सिर्फ 10 प्रतिशत Plastic को ही Recycle किया जाता है. बाकी का Plastic..Landfills और समंदर में प्लास्टिक कचरे के तौर पर इकट्ठा होता जाता है. जिसे Degrade होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं. हम सभी ने समुद्र तट पर और महासागरों के बीच में बहकर आए प्लास्टिक कचरे की तस्वीरें देखी हैं. 

एक स्टडी में पता चला है कि दुनिया के महासागरों में 171 ट्रिलियन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा मौजूद है. इसका वजन लगभग 2.3 बिलियन टन प्लास्टिक के बराबर है. हर वर्ष 8 से 10 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में फेंक दिया जाता है. महासागरों और समुद्रों में प्लास्टिक कचरा पानी के जीव-जंतुओं को बहुत नुकसान पहुंचाता है. समुद्री जीव..इस प्लास्टिक कचरे को अपना भोजन समझ कर खा लेते हैं. कई बार प्लास्टिक के बड़े मलबों में समुद्री जीव फंसकर भी मर जाते हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल प्लास्टिक कचरे से 100 मिलियन से भी ज्यादा समुद्री जीव मर जाते हैं. समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण सर्वाधिक 100 प्रतिशत कछुओं, 59 प्रतिशत व्हेल और 36 प्रतिशत सीलों को नुकसान पहुंचा रहा है। यानी प्लास्टिक सिर्फ इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा. बल्कि पूरी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है. लेकिन इसके जिम्मेदार हम इंसान ही हैं. जिसने प्लास्टिक का ईजाद अपनी सुविधा के लिए किया था. लेकिन अब वही प्लास्टिक हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो चुका है.

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