शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना (Saamna) में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के भूमिपुत्रों को सरकारी नौकरी (Government Job) दिए जाने को लेलकर बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा गया है.
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मुंबई: शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र सामना (Saamna) में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के भूमिपुत्रों को सरकारी नौकरी (Government Job) दिए जाने को लेकर बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा गया है. सामना में लिखा है 'यह आरक्षण जैसा प्रावधान सिर्फ नौकरियों तक ही सीमित रहेगा या राजनीति में भी लागू होगा?'
ज्योतिरादित्य को लेकर सवाल
सामना के मुताबिक 'ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कांग्रेस (Congress) राज से भाजपा (BJP) में आए. तब भाजपा के पुराने भूमिपुत्रों को हासिए पर करके सिंधिया और उनके समर्थकों को राजनीतिक रोजगार (Political Employment) मुहैया कराया गया. इसलिए भूमिपुत्रों को प्राथमिकता का कानून मध्यप्रदेश में राजनीतिज्ञों पर लागू नहीं है. मध्यप्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरियां देने का कानून आया तो दिल्ली सहित देश के राष्ट्रीय एकता वालों के मन में अब तक कोई हलचल क्यों नहीं मची?'
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महाराष्ट्र को लेकर टीस
सामना में आगे ये भी लिखा गया कि महाराष्ट्र में जब-जब स्थानीय लोगों को रोजगार देने में प्राथमिकता की बात सामने आई, तब-तब एकता के सर्वदलीय ठेकेदार संसद से लेकर राज्य की विधानसभा तक महाराष्ट्र के नाम से शोर मचाते रहे. ऐसा ही कानून आंध्रप्रदेश में पिछले साल आया था, जिसमें निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) का प्रावधान किया गया और उस समय भी किसी को राष्ट्रीय एकता की याद नहीं आई थी.
सामना के इस लेख से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल्द ही भूमि पुत्रों को लेकर एक बार फिर से राजनीति शुरू हो सकती है.
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