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मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना (Saamana) में सरकार को पत्र लिखने वाले पुलिस अधिकारियों पर निशाना साधा गया है. सामना में लिखा है राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) पर वसूली का आरोप लगाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Param Bir Singh) अभी तक प्रशासनिक सेवा में हैं, गृह मंत्री के खिलाफ पत्र लिखने के बाद उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही, इस पर हैरानी जताई है.
सामना में लिखा है, परमबीर सिंह (Param Bir Singh) ने सिर्फ गृह मंत्री पर ही आरोप नहीं लगाया बल्कि अपने द्वारा लगाए गए आरोपों की सीबीआई के मार्फत जांच कराई जाए इसके लिए ये सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गए हैं. इतना होने के बाद भी उनके खिलाफ सेवा शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर कार्रवाई नहीं की गई है.
दूसरे एक अधिकारी संजय पांडे ने भी मुख्यमंत्री को ही पत्र लिखकर ‘पदोन्नति’ प्रकरण में उनके साथ किस तरह से अन्याय हुआ यह स्पष्ट किया है. पांडे ने पत्र में और भी कई मुद्दे उठाए हैं. राजनीतिक दबाव, उल्टे-सीधे काम करवाने का, सरकारी दबाव आदि के संबंध में धमाका किया है. पांडे महासंचालक दर्जे के अधिकारी हैं लेकिन पुलिस आयुक्त, राज्य के महासंचालक पद की नियुक्ति में उन्हें नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगा रहे हैं.
सामना (Saamana) में लिखा है, पांडे और परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर अपनी भावना व्यक्त की, यहां तक तो सब ठीक है लेकिन ये भावनाएं प्रसार माध्यमों तक पहुंच जाएं व सरकार की कार्यप्रणाली पर संदेह खड़े हों इसकी सटीक व्यवस्था भी उन्होंने की है. इन दो पत्रों के सहारे राज्य का विपक्ष जो नृत्याविष्कार कर रहा है, वह दिलचस्प है. इस जोड़ी में सुबोध जायसवाल, रश्मि शुक्ला आदि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सरकार को अंधेरे में रखकर किए गए ‘फोन टैपिंग’ प्रकरण की रिपोर्ट लेकर भी विपक्ष के नेता दिल्ली पहुंच गए हैं. अर्थात राज्य के प्रशासनिक सेवा से जुड़े ये लोग एक राजनीतिक पार्टी की सेवा कर रहे थे.
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सामना में आगे लिखा है, भाजपा (BJP) का यह सब झमेला क्यों और किसलिए चल रहा है, ये जनता जानती है. राष्ट्रपति शासन लगाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण कराई जाए, यही उसके पीछे का मुख्य उद्देश्य है. राज्य सरकार ने डेढ़ वर्षों में पुलिस और प्रशासन पर नकेल नहीं कसी इसलिए कुछ घोड़े भटक गए हैं, ये स्पष्ट है. उन भटके हुए घोड़ों को चना खिलाने का काम विपक्ष ने हाथ में लिया होगा तो ये ‘सब घोड़े बारह टके’ के ही हैं. ऐसे घोड़ों से रेस नहीं जीती जा सकती है.
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