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मुंबई: एंटीलिया केस में मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वझे (Sachin Vaze) की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल चल रहा है. मामले की जांच एनआईए (NIA) कर रही है और एजेंसी की अब तक की जांच में रुमाल, स्कॉर्पियो, इनोवा, मर्सिडीज और रियाजुद्दीन काज़ी की चिट्ठी जैसे अहम सबूत मिले हैं. खास बात हैं कि इन सबूतों में रुमाल और मर्सिडीज की एंट्री नई हुई है. ये सबूतों का वो दृश्यम है, जिससे सचिन वझे की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर होकर भी पुलिस कमिश्नर जैसा ओहदा रखने वाले सचिन वझे से जुड़े सबूतों का रहस्य बता रहे हैं. तो चलिए आपको बताते हैं सचिन वझे केस में मर्सिडीज और पीपीई किट की पूरी कहानी.
पहली बड़ी बात- मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को बुधवार को हटा दिया गया और उनकी जगह हेमंत नगराले मुंबई के नए पुलिस कमिश्नर बने.
दूसरी बड़ी बात- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि सचिन वझे शिवसेना की एजेंट था.
तीसरी बड़ी बात- बीजेपी का आरोप है कि सचिन वझे ने ही गाड़ी की गुमशुदगी की रिपोर्ट मनसुख हिरेन से लिखवाई थी.
चौथी बड़ी बात- मनसुख हिरेन की हत्या कर उसके शव को खाड़ी में फेंका गया था. ये दावा बीजेपी का है.
पांचवीं बड़ी बात- स्कॉर्पियो की असली नंबर प्लेट NIA ने एक काले रंग की मर्सिडीज से बरामद की है.
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में सचिन वझे मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सचिन वझे क्या करता था, उसके शिवसेना से कैसे रिश्ते थे और मनसुख हिरेन कैसे मरा. इसे लेकर फडणवीस ने कई बड़े दावे किए. उन्होंने कहा, 'एटीएस और एनआईए के पास कुछ ऐसे टेप हैं, जिसमें मनसुख की आवाज है और उसमें सचिन वझे ने क्या कहा है उसकी भी पुष्टि होती है. अब यह कनेक्टेड मामला हो गया है इसलिए मनसुख की मौत की जांच भी एनआईए को करनी चाहिए.' देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं तो शिवसेना एनआईए की जांच पर ही सवाल उठा रही है. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में कानून का राज है और कानून अपना काम करता रहता है. अगर घर-घर में बम बन रहे हैं तो आप चुप क्यों हो. जैसे मुंबई में जिलेटिन के 20 स्टिक मिले तो एनआईए घुस गई.
The ATS and NIA have tapes with #SachinWaze ’s voice & conversations. Both cases being inter related,
we demand that now #MansukhHiren murder case should also be probed by the @NIA_India pic.twitter.com/dbOxvWp751— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) March 17, 2021
एंटीलिया केस की जांच कर रही नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को मिले कुछ अहम सबूतों में से एक सबूत सीसीटीवी फुटेज है. 25 फरवरी के सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध शख्स दिखा है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ये शख्स पीपीई किट पहना हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है. इस शख्स ने पीपीई किट नहीं पहना है. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा ये संदिग्ध कौन है? क्या इसने पीपीई किट पहन रखा है? और क्या ये सचिन वझे है? ज़ी न्यूज़ को NIA सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसने 25 फरवरी को बड़े साइज का कुर्ता पायजामा पहना था. कुर्ता पायजामा सफेद रंग का है. मुंह पर मास्क और सिर पर बड़ा रुमाल बांधा हुआ है. यानी आंखों के अलावा इस शख्स का पूरा चेहरा ढका हुआ है. यानी इसकी तैयारी ऐसी थी कि कोई पहचान ना सके. NIA के सूत्रों के मुताबिक ये शख्स सचिन वझे हो सकता है, लेकिन ये सिर्फ संभावना है इसकी पुष्टि नहीं हुई है. ये व्यक्ति सचिन वझे है या कोई और. इस बात का पता NIA ह्यूमन एनालिसिस फॉरेंसिक जांच करके लगाएगी.
एनआईए ने मंगलवार की रात काले रंग की मर्सिडीज को मुंबई क्राइम ब्रांच के दफ्तर के पास एक पार्किंग से बरामद किया. जांच एजेंसी के मुताबिक बड़ी बात ये है कि इस मर्सिडीज से संदिग्ध स्कॉर्पियो की असली नंबर प्लेट भी मिली है. साथ ही कुछ कपड़े बरामद हुए हैं. इसके अलावा कुछ बोतलें भी मिली हैं. एनआईए के आईजी अनिल शुक्ला ने बताया कि 'एक ब्लैक कलर की मर्सिडीज को सीज किया गया है. मर्सिडीज में स्कॉर्पियो की नंबर प्लेट थी, उसको रिकवर किया गया है. मर्सिडीज से 5 लाख से ज्यादा कैश, नोट गिनने वाली मशीन और कुछ कपड़े रिकवर किए गए हैं.' NIA के मुताबिक सचिन वझे ही मर्सिडीज कार का इस्तेमाल कर रहा था. फिलहाल कार की फॉरेंसिक जांच जारी है. NIA अब ये जानने में जुटी है कि क्या इसी मर्सिडीज कार से मनसुख हिरेन उस रात को वापस अपने घर लौटा था, जब उसने कार खराब होने की वजह से बीच सड़क पर छोड़ दी थी.
इस बीच ज़ी न्यूज़ को ये जानकारी मिली कि इस मर्सिडीज के मालिक पहले सारांश भावसार नाम के व्यक्ति थे. धुले में रहने वाले सारांश का दावा है कि उन्होंने ये मर्सिडीज, कार खरीदने और बेचने वाली एक कंपनी को बेच दी थी. बता दें कि एंटीलिया मामले की जांच में अब तक तीन गाड़ियां बरामद हो चुकी हैं. पहली स्कॉर्पियो कार, जो एंटीलिया के बाहर मिली थी. दूसरी इनोवा, जो स्कॉर्पियो के पीछे चल रही थी और तीसरी काले रंग की मर्सिडीज कार.
1. 25 फरवरी को एंटीलिया के पास जिलेटिन छड़ों से भरी स्कॉर्पियो कार मिलने के मामले में भी मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने जांच किसी और अधिकारी को नहीं, बल्कि सचिन वझे को ही सौंपी. सचिन वझे करीब 10 दिनों तक इस केस के इनवेस्टिगेटिव ऑफिसर बने रहे. अब उन पर तमाम सबूतों को नष्ट करने का आरोप भी लग रहा है.
2. साल 2020 में ख्वाजा यूनुस मामले में ससपेंड चल रहे सचिन वझे को ये कह कर मुंबई पुलिस में दोबारा शामिल किया गया था कि कोरोना काल मे बहुत से पुलिस वाले संक्रमित हो गए है और पुलिस व्यवस्था देखने के लिए और पुलिसकर्मी चाहिए. लेकिन सचिन वझे को कभी भी कोरोना की कोई ड्यूटी नही दी गई, बल्कि उन्हें सीधे तौर पर क्राइम ब्रांच के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में जॉइन करवाया गया.
3. क्राइम ब्रांच में वैसे तो जॉइंट CP से लेकर एडिशनल CP, DCP, सीनियर PI, पुलिस इंस्पेक्टर तक सभी अधिकारी हैं, लेकिन बावजूद इसके परमबीर सिंह पिछले 10 महीनों के सबसे बड़े मामलों की इन्वेस्टिगेशन के लिए सचिन वझे को ही इनवेस्टिगेटिव ऑफिसर बना रहे थे.
4. पुलिस के गलियारों में ये बात दबी जुबान में कही जाती थी कि सचिन वझे जिस भी केस की जांच करते हैं वो उसकी रिपोर्टिंग अपने सीनियर्स को नहीं, बल्कि डायरेक्ट CP परमबीर सिंह को किया करते हैं.
5. परमबीर सिंह का वैसे तो इस मामले में अभी तक बिल्कुल भी नाम नही आया है, लेकिन उनकी नाक के नीचे उनका चहेता पुलिस अधिकारी इतना बड़ा खेल खेलता रहा और परमबीर सिंह को भनक तक नहीं लगी. यहां तक कि जिस मर्सिडीज कार को 5 लाख रुपये, नोट काउंटिंग मशीन और कपड़ों के साथ NIA ने पकड़ा. वो भी उसी CP ऑफिस से बरामद की गई. जहां खुद परमबीर सिंह का ऑफिस है और वे वहां रोज आते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खबर तक नहीं थी.
सचिन वझे पर सबूतों के दृश्यम में एक और कड़ी है और ये है असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर रियाजुद्दीन काजी. कौन है ये काजी और 4 दिनों से एनआईए इससे क्यों पूछताछ कर रही है. रियाजुद्दीन काजी महाराष्ट्र पुलिस में असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर और सचिन वझे केस का अहम किरदार है. रियाज सचिन वझे का करीबी और पुलिस डिपार्टमेंट में सहयोगी भी है. रियाज काजी ने ही वझे की सोसायटी में सारे सीसीटीवी फुटेज अपने कब्जे में लिया था और कहा जा रहा है कि डेटा नष्ट कर दिया गया. नष्ट किसने किया इसकी जांच एनआईए कर रही है.
एनआई को उस एजेंसी की तलाश है, जिसने उस लोकेशन का पता लगने वाली रिपोर्ट दी थी, जिसके मुताबिक एक टेलीग्राम मैसेज में तिहाड़ जेल से जैश उल हिंद नाम के संगठन ने स्कॉर्पियो कार रखने की पहले जिम्मेदारी ली और बाद में मना भी कर दिया. अब एनआईए को लगता है कि जो रिपोर्ट इस संबंध में किसी प्राइवेट एजेंसी ने मुंबई पुलिस को दी थी तो ये रिपोर्ट अपने आप में मेनुपुलेटेड रिपोर्ट थी. इस पूरी जांच को दिशा से भटकाने के लिए की गई थी और इसमें वझे और उसके जो साझेदार हैं उनकी भूमिका है.
इस बीच मनसुख हिरेन की मौत के मामले में अहम जानकारी मिली है. मनसुख हिरेन की केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट आ गई है, जिसके मुताबिक मनसुख हिरेन जब खाड़ी में गिरे, तब वो जिंदा थे और उनके फेफड़ों मे खाड़ी का पानी भी मिला है. जानकारों के मुताबिक तालाब, झील या नहरों के पानी में एक डायटम नाम का पदार्थ पाया जाता है. यदि पानी में किसी की डूबकर मौत होती है तो वह व्यक्ति सांस नहीं ले पाता. इस कारण गले व अन्य रास्तों से शरीर के अंदर पानी प्रवेश करता है. थोड़ी देर बाद ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. इस प्रतिक्रिया में मृतक के शरीर में डॉयटम पाया जाता है. यदि किसी की हत्या कर शव पानी में फेंका जाए तो उसके अंदर डायटम नहीं पाया जाता है.
(इनपुट- प्रशांत अंकुश राव)