सैम मानेकशॉ के पिता को उनके आर्मी ज्वाइन करने पर शुरू में आपत्ति थी.
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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत के हीरो फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 3 अप्रैल को 104वीं जयंती है. वह फील्ड मार्शल के 5 स्टार रैंक के रुतबे को हासिल करने वाले पहले सैन्य अफसर थे. देश के महानतम कमांडरों में से एक सैम होरमुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ (3 अप्रैल, 1914-27 जून, 2008) को लोग सम्मान में 'सैम बहादुर' भी कहते थे. वह भारतीय सेना के 8वें आर्मी चीफ रहे.
1. सैम मानेकशॉ का एक पारसी परिवार में अमृतसर में जन्म हुआ. शुरुआत में पिता को उनके आर्मी ज्वाइन करने पर आपत्ति थे. इस पर सैम ने पिता से कहा कि फिर उनको गायनोकोलॉजिस्ट बनने के लिए लंदन भेज देना चाहिए. पिता ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. नतीजतन मानेकशॉ इंडियन मिलिट्री एकेडमी की परीक्षा पासकर 1932 में सैन्य अफसर बन गए. उसके बाद अपने चार दशकों के मिलिट्री करियर में सैम ने 5 युद्धों में हिस्सा लिया. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मानेकशॉ से सैन्य तैयारियों के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, ''मैं हमेशा तैयार हूं स्वीटी.'' पारसी कनेक्शन के कारण दरअसल उन्होंने इंदिरा गांधी से ऐसा कहा (इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी पारसी थे).
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2. मानेकशॉ एक बार जंग के दौरान बहुत घायल हो गए थे. दरअसल 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब वह कैप्टन थे और जापानियों के खिलाफ बर्मा में लड़ रहे थे तो उनके शरीर में दुश्मन की नौ गोलियां लगीं. एक जांबाज जवान शेर सिंह ने उनकी किसी तरह जान बचाई.
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3. सैम के कुछ कोट बहुत प्रसिद्ध हुए. मसलन उन्होंने एक बार कहा, ''यदि कोई आदमी कहता है कि उसको मौत से डर नहीं लगता, तो वह या तो झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है.'' इसी तरह जब उनसे एक बार पूछा गया कि यदि आप विभाजन के बाद पाकिस्तान चले जाते तो क्या होता तो उनका जवाब था, ''तो सभी युद्ध पाकिस्तान जीतता.''
4. 1972 में राष्ट्रपति के विशेष ऑर्डर से उनकी सेवाओं को छह माह के लिए और बढ़ा दिया गया. हालांकि वह इच्छुक नहीं थे लेकिन राष्ट्रपति के सम्मान में उन्होंने अपनी सेवाएं जारी रखीं. 1942 में उनको मिलिट्री क्रॉस, 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
5. 2008 में वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल में न्यूमोनिया की वजह से उनका निधन हो गया. उनके अंतिम संस्कार में कोई राजनेता नहीं आया और न ही शोक दिवस घोषित किया गया.