वह भारतीय महिला जो आयरलैंड में आंदोलन का प्रतीक बनी और बदला गया कानून
Advertisement

वह भारतीय महिला जो आयरलैंड में आंदोलन का प्रतीक बनी और बदला गया कानून

यह पूरा आंदोलन यस(YES) नाम से चला और सविता की तस्‍वीर इसका प्रतीक बनी.

सविता हलप्‍पनवार की 2012 में आयरलैंड में मौत हो गई.

छह साल पहले पेशे से डेंटिस्‍ट और भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार(31) को आयरलैंड में पता चला कि उनके 17 हफ्ते की प्रेगनेंसी में कुछ समस्‍याएं हैं. उन्‍होंने गर्भपात की इजाजत मांगी लेकिन कैथोलिक देश होने के नाते सख्‍त गर्भपात संबंधी कानूनों के कारण उनको इजाजत नहीं मिली. शुरू में डॉक्‍टरों ने माना कि उनकी जान को खतरा नहीं है और उनका इलाज होता रहा. लेकिन इस बीच रक्‍त संक्रमण पूरे शरीर में फैल गया और अक्‍टूबर, 2012 में सविता की मौत हो गई. दरअसल आयरलैंड के कानून के मुताबिक महिला की जान को खतरा होने की स्थिति में ही गर्भपात की इजाजत दी जा सकती थी और बलात्कार के मामलों में यह नहीं है. उनकी मौत ने देश में गर्भपात पर चर्चा छेड़ दी और इन सख्‍त नियमों को उदार करने की देशव्‍यापी बहस शुरू हुई.

  1. 2012 में सविता की आयरलैंड में मौत हो गई
  2. उनको गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई थी
  3. इसके खिलाफ आयरलैंड में आदोलन हुए

उसका नतीजा यह हुआ कि अब छह साल बाद आयरलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने से जुड़े एक जनमत संग्रह में 66.4 प्रतिशत लोगों ने समर्थन किया. यह पूरा आंदोलन यस(YES) नाम से चला और सविता की तस्‍वीर इसका प्रतीक बनी. लिहाजा इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह के बाद सविता के पिता आनंदप्पा यालगी ने कर्नाटक स्थित अपने घर से कहा कि उन्हें आशा है कि आयरलैंड के लोग उनकी बेटी को याद रखेंगे. उन्होंने कर्नाटक में अपने घर से फोन पर ‘द गार्डियन’ को बताया ,‘‘मैं उसके बारे में हर दिन सोचता हूं. आठवें संशोधन के कारण उन्हें चिकित्सा उपचार नहीं मिला. उन्हें कानून बदलना होगा.’’

fallback
आयरलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने से जुड़े एक जनमत संग्रह में 66.4 प्रतिशत लोगों ने समर्थन किया.

अगर लोग इस कानून को निरस्त करने के लिए वोट देते हैं, तो आयरिश सरकार का प्रस्ताव है कि गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह के भीतर महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं. उसके बाद गर्भपात के 24 वें सप्ताह तक गर्भपात की उस समय अनुमति दी जाएगी जब किसी महिला के जीवन को खतरा हो, या किसी महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होने का जोखिम हो.

भारतीय मूल के वरधकर बनेंगे आयरलैंड के पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री

जनमत संग्रह
आयरलैंड में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा की. इस संबंध में आई पहली आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भपात के खिलाफ किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग को 66 प्रतिशत लोगों का समर्थन हासिल हुआ है. वरदकर ने कहा, “लोगों ने अपनी राय जाहिर कर दी. उन्होंने कहा है कि एक आधुनिक देश के लिए एक आधुनिक संविधान की जरूरत है.” उन्होंने कहा कि आयरलैंड के मतदाता, “महिलाओं के सही निर्णय लेने और अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही फैसला करने के लिए उनका सम्मान और उन पर यकीन करते हैं.’’ उन्होंने कहा, “हमने जो देखा वह आयरलैंड में पिछले 20 सालों से हो रही शांत क्रांति की पराकाष्ठा है.” इसके तहत आठवें संशोधन को निरस्त करने के पक्ष में पड़े मत कानून में बदलाव के लिए आयरलैंड की संसद का मार्ग प्रशस्त करते हैं.

Trending news