गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से दोषी पुलिस कर्मियों पर अब तक की गई कार्रवाई के बारे में जवाब मांगा है.
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मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) में दो साधुओं समेत तीन लोगों की निर्मम हत्या मामले में महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) की जांच से केंद्र सरकार (Central Government) संतुष्ट नहीं है. जिसके चलते केंद्र सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र पुलिस को मामले की चार्जशीट अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. केंद्र की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट उस चार्जशीट की जांच करें ताकि किसी तरह की कोई खामी ना छूटे.
कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल खड़े करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर अब तक की गई कार्रवाई के बारे में जवाब मांगा. इस सवाल पर महाराष्ट्र सरकार ने बताा कि इस मामले में दो चार्जशीट दायर हुई हैं. जबकि तीसरी सोमवार तक दायर होगी. इस जवाब पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को सभी चार्जशीट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिए है. कोर्ट ने कहा कि 3 हफ्ते के अंदर सरकार ये चार्जशीट दाखिल करे. वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले की जांच NIA से कराए जाने की मांग भी की है.
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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं समेत कुल 3 लोगों की हुई निर्मम हत्या के मामले की जांच सीआईडी कर रही है. इस मामले में अब तक दहाणु कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की हैं. सीआईडी ने 126 लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट 4995 पन्नों की बनाई है. जबकि 5921 पन्नों की दूसरी चार्जशीट अदालत में दाखिल की. इस चार्जशीट में CID ने अफवाह को घटना की मुख्य वजह माना है. मामले में अब तक 165 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जबकि 808 संदिग्धों से पूछताछ हुई है.
खास बात ये रही की इस चार्जशीट के मुताबिक, सीआईडी ने अपनी जांच में माना कि पालघर साधु हत्याकांड के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं था बल्कि कुछ अफवाहों को ही दिल दहला देने वाले इस हत्याकांड की मुख्य वजह बताया. सीआईडी के मुताबिक, इस इलाके में कुछ दिनों से ऐसी अफवाह थी कि "कुछ लोग बच्चों को किडनैप कर उनके शरीर से किडनी जैसे अंग निकलने के लिए साधु, पुलिस या डॉक्टर के भेष में आ सकते हैं. इसी अफवाह के चलते स्थानीय लोगों ने इन संतों को किडनैपर समझकर साधुओं पर जानलेवा हमला किया. महाराष्ट्र राज्य सरकार ने साधुओं की हत्या और मॉब लिंचिंग के लिए सांप्रदायिक कारण को खारिज कर दिया था.
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