हमने जो रास्ता तय किया है वह न केवल हमारा कल्याण निर्धारित करेगा, बल्कि हमारे बाद इस ग्रह पर आने वाली पीढ़ियों को भी खुशहाल रखेगा.
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नई दिल्लीः पर्यावरण सुरक्षा को ‘‘गंभीर चुनौती’’ करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने का आह्वान किया और कहा कि पर्यावरण से जुड़े विषयों पर अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहन देना जरूरी है. प्रधानमंत्री ने कुछ दैनिक समाचार पत्रों में बुधवार को प्रकाशित एक स्तंभ में कहा है कि लोगों को पर्यावरण संबंधी प्रश्नों पर यथासंभव बातचीत करने, लिखने तथा चर्चा करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा ‘‘इसके साथ ही पर्यावरण संबंधी विषयों पर अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देना भी महत्वपूर्ण है. इस तरह अधिक से अधिक लोगों को हमारे समय की गंभीर चुनौतियों को जानने और उन्हें दूर करने के प्रयासों के बारे में सोचने का अवसर मिलेगा.’’
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अवश्य कताओं से बढ़ा पर्यावरण असतुंलन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानव और प्रकृति के बीच विशेष संबंध रहे हैं. प्रारंभिक सभ्यताएं नदियों के तट पर विकसित हुईं. प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से रहने वाले समाज फलते-फूलते हैं और समृद्ध होते हैं. मानव समाज आज एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है. हमने जो रास्ता तय किया है वह न केवल हमारा कल्याण निर्धारित करेगा, बल्कि हमारे बाद इस ग्रह पर आने वाली पीढ़ियों को भी खुशहाल रखेगा.’’ उन्होंने कहा ‘‘लालच और आवश्यकताओं के बीच अंसतुलन ने गंभीर पर्यावरण असंतुलन पैदा कर दिया है.’’
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जलवायु न्याय का आह्वान
प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि लोग या तो इसे स्वीकार कर सकते हैं या पहले की तरह ही चल सकते हैं या सुधार के उपाय कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जबकि दुनिया में जलवायु परिवर्तन की बात हो रही है, भारत से जलवायु न्याय का आह्वान किया गया है. मोदी ने कहा कि जलवायु न्याय का अर्थ समाज के उन गरीब और हाशिये पर खड़े लोगों के अधिकारों और हितों से जुड़ा है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
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चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ अवॉर्ड
प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र के ‘चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है. इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह यह सम्मान प्राप्त कर अत्यंत अभिभूत हैं लेकिन उन्हें लगता है कि यह पुरस्कार किसी व्यक्ति के लिए नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और उन मूल्यों को स्वीकृति है, जिन्होंने हमेशा प्रकृति के साथ सौहार्द के साथ रहने पर बल दिया है. प्रधानमंत्री ने लिखा ‘‘जलवायु परिवर्तन में भारत की सक्रिय भूमिका को मान्यता मिलना और उसे सराहा जाना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है.’’ (इनपुटः भाषा)