देश में जल्द शुरू हो सकता है कोरोना वैक्सीन का प्रोडक्शन, बाजार में आने में लगेगा इतना समय
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देश में जल्द शुरू हो सकता है कोरोना वैक्सीन का प्रोडक्शन, बाजार में आने में लगेगा इतना समय

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने रविवार को कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में राहत पहुंचाने वाली खबर साझा की.

अगर मानव पर परीक्षण सफल रहा तो अक्टूबर तक यह वैक्सीन बाजार में आ सकती है..

नई दिल्ली: वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) ने रविवार को कोरोना वायरस (coronavirus) के खिलाफ जारी जंग में राहत पहुंचाने वाली खबर साझा की. कंपनी ने कहा कि उसकी योजना ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) द्वारा डेवलप किए गए कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) का प्रोडक्शन दो से तीन सप्ताह में शुरू करने की है और अगर इसका मानव पर परीक्षण सफल रहा तो अक्टूबर तक यह वैक्सीन बाजार में आ सकती है. पुणे स्थित कंपनी सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उन सात वैश्विक कंपनियों में शामिल है, जिसके साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए पार्टनरशिप की है.

कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा, "हमारी टीम ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ हिल के साथ मिलकर करीबी से काम कर रही है. हमें अगले दो से तीन सप्ताह में इसका उत्पादन शुरू कर देने की उम्मीद है. पहले छह महीने उत्पादन की क्षमता प्रतिमाह पचास लाख खुराक की रहेगी. इसके बाद हमें उत्पादन बढ़ाकर प्रति माह एक करोड़ खुराक कर लेने की उम्मीद है."

सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मलेरिया वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी है. पूनावाला ने कहा, "हमें कोविड-19 टीके के सितंबर-अक्टूबर तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है, बशर्ते कि टीके का परीक्षण आवश्यक सुरक्षा व पर्याप्त प्रभाव के साथ सफल हो जाए. हम अगले दो से तीन सप्ताह में इस वैक्सीन की टेस्टिंग भारत में शुरू कर देंगे." कंपनी ने कहा कि भारत में इस टीके का परीक्षण शुरू करने के लिए आवश्यक मंजूरियां लेने की प्रक्रिया चल रही है. 

पूनावाला ने कहा, "मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमने इस प्रयास को खुद से फाइनेंस किया है. हमें उम्मीद है कि प्रोडक्शन बढ़ाने में हमें अन्य पार्टनर से भी सहयोग मिलेगा." 

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उन्होंने कहा कि वैक्सीन का मैन्यूफैक्चर पुणे स्थित प्लांट में किया जाएगा. कोविड-19 के टीके बनाने के लिए यदि अलग से प्लांट बनाया जाए तो इसमें करीब दो से तीन साल लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि कंपनी इस वैक्सीन का पेटेंट नहीं कराएगी और इसे न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर की कंपनियों के लिए उत्पादन व बिक्री करने के लिए उपलब्ध कराएगी. उन्होंने कहा कि जो कोई भी इसका वैक्सीन विकसित करेगा, उसे टीके के मैन्यूफैक्चरिंग के लिए कई साझेदारों की जरूरत पड़ेगी. 

(इनपुट: भाषा से)

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