वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने कहा कि जनगणना में प्रत्येक जाति को शामिल किया जाना चाहिए जिससे प्रत्येक समुदाय की वास्तविक संख्या का पता चल सके.
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नई दिल्ली: वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने जाति आधारित जनगणना की वकालत करते हुए कहा है कि 2021 में जनगणना में सभी जातियों की गणना की जानी चाहिए. जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पृथक गणना किए जाने के सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यादव ने शनिवार को कहा कि वह इस फैसले से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि जनगणना में प्रत्येक जाति को शामिल किया जाना चाहिए जिससे प्रत्येक समुदाय की वास्तविक संख्या का पता चल सके.
शरद यादव ने कहा कि इससे सरकार को अपनी योजनाओं और नीतियों की रूपरेखा तय करने में मदद मिलेगी. साथ ही कुछ जातियों की बढ़ती आबादी के दावों की हकीकत का भी पता चल सकेगा.
उन्होंने जनगणना की मौजूदा व्यवस्था में शामिल अनुसूचित जाति और जनजातियों की आबादी में हिस्सेदारी के आंकड़ों पर संदेह व्यक्त करते हुये दावा किया कि इन समुदायों की वास्तविक संख्या जनगणना के आंकड़ों से कहीं अधिक है.
बता दें साल 2021 की जनगणना में आजाद भारत में पहली बार अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) से संबंधित आंकड़े एकत्रित किये जाएंगे. यह कदम 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. देश में 1931 की जनगणना में आखिरी बार एकत्रित किए गए जातिगत आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई मंडल आयोग की सिफारिशों पर तत्त्कालीन वी पी सिंह सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना के लिए तैयारियों की समीक्षा की जिसके बाद ओबीसी आंकड़े एकत्रित करने के फैसले का खुलासा किया गया.
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा,‘पहली बार ओबीसी से संबंधित आंकड़े भी इकट्ठा करने का विचार किया गया है.’