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पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि पुराने सहयोगी दल शिवसेना और जदयू ने उनके सुझाव पर ध्यान नहीं दिया और फायदा उठाने की उम्मीद में पार्टी से संबंध तोड़ने की दिशा में आगे बढ़ गए लेकिन चुनाव के नतीजों ने उन्हें गलत साबित कर दिया।
आडवाणी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘जब उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अकेले जाने का फैसला किया तब मैंने व्यक्तिगत तौर पर उन्हें कहा था कि यह यह उचित नहीं होगा क्योंकि शिवसेना राजग के संस्थापक सदस्यों में शामिल है। मैंने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और हमारे साथ बने रहने को कहा लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया।’
आडवाणी ने कहा, ‘जब कोई पार्टी हमारे साथ आती है तो हम गठबंधन नहीं तोड़ते। हम चाहते थे कि शिवसेना के साथ गठजोड़ बना रहे। लेकिन ऐसा लगता है कि उद्धव को मेरा अनुरोध पसंद नहीं आया। उन्हें लगा कि उनकी पार्टी अकेले चली तो बेहतर करेगी। इसके साथ ही 25 साल पुराना गठबंधन खत्म हो गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के दिनों से चला आ रहा था।’
भाजपा के 87 वर्षीय नेता ने इस बात का जिक्र किया कि जदयू के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मामले में भी यही बात हुई। आडवाणी ने कहा, ‘जब नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी को पटना में 2010 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए आमंत्रित किया और फिर न्योता रद्द कर दिया तब मैंने उनसे कहा था कि वह राजग के संस्थापक सदस्यों में हैं और ऐसा नहीं करना चाहिए लेकिन उन्होंने एक न मानी।
उन्होंने कहा कि गठबंधन वाजपेयी के समय में नहीं टूटा बल्कि इस चीज ने हाल के समय में गति पकड़ी है क्योंकि सहयोगी दलों को लगता है कि वे अपने बूते चुनाव लड़ेंगे तो अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा, ‘भाजपा बिहार में आधार नहीं खो रही है। मैं देख सकता हूं कि देश में अहम बदलाव हो रहा है और उम्मीद करता हूं कि इसका प्रभाव न सिर्फ बिहार में पड़ेगा बल्कि समूचे भारत में पड़ेगा।’