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Maharashtra Bypolls: महाराष्ट्र में उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का चुनाव चिन्ह और नाम फ्रीज करने के निर्णय ने उद्धव और शिंदे दोनों ही गुटों को झटका दिया है. लंबे समय शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह पर उद्धव और शिंदे गुट दावा करते आ रहे हैं. चुनाव आयोग के फैसले के बाद दोनों गुटों को उपचुनाव में नए चुनाव चिन्ह और नाम के साथ आना होगा. चुनाव आयोग के इस फैसले पर उद्धव गुट ने नाराजगी जताई है और इसे एक क्रूर निर्णय बताया है. सोमवार को ताजा हमला करते हुए उद्धव गुट ने कहा कि वह कभी नहीं बुझने वाली मशाल है और चुनाव आयोग के फैसले के बाद भी वह वापसी करेगी.
उद्धव ठाकरे गुट का बड़ा आरोप
उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग (ईसी) के फैसले को अन्याय करार देते हुए कहा कि आयोग ने अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे नीत दोनों गुटों के पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर शनिवार को पाबंदी लगा दी थी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा कि यह (निर्वाचन आयोग का फैसला) पाप दिल्ली ने किया. बेईमान लोगों ने यह बेईमानी की. लेकिन हम इतना ही कहेंगे कि कितना भी संकट आ जाए, हम खड़े ही रहेंगे. संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के मामले में क्रूर फैसला दिया है और बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित की गई शिवसेना का नामोनिशान खत्म करने की कोशिश की गई है.
निर्वाचन आयोग के फैसले पर उठाया सवाल
इसमें कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने ऐसा निर्णय देकर महाराष्ट्र में घना अंधेरा ला दिया है. बालासाहेब ठाकरे ने 56 साल पहले मराठी अस्मिता व मराठी लोगों के न्याय व अधिकार के लिए एक अलख जगाई. उस शिवसेना का अस्तित्व खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे और उनके 40 सहयोगी दिल्ली के गुलाम बन गए हैं. संपादकीय में आगे कहा गया है कि शिंदे और उनके धड़े के विधायकों के नाम महाराष्ट्र के इतिहास में ‘काली स्याही’ से लिखे जाएंगे. पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद और कुछ मंत्री पद की सौदेबाजी में महाराष्ट्र का स्वाभिमान बेचने वाले इन लोगों के आगे औरंगजेब की ‘दुष्टता’ भी फीकी पड़ जाएगी. भारतीय जनता पार्टी इन सबकी सूत्रधार है और उसके ही एक नेता ने कहा था कि ढाई साल से शिवसेना को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी.
उद्धव गुट ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत खेमे ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर पाबंदी लगाए जाने के भारत निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया. ठाकरे द्वारा दायर याचिका में आयोग के आठ अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है. इसमें यह दलील दी गई है कि यह आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए और पक्षों को सुने बगैर जारी किया गया. याचिका में निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथराव संभाजी शिंदे को पक्षकार बनाया गया है.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)