क्यों कोरोना मरीजों की चलते-फिरते अचानक हो रही है मौत, सामने आई चौंकाने वाली वजह
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क्यों कोरोना मरीजों की चलते-फिरते अचानक हो रही है मौत, सामने आई चौंकाने वाली वजह

कोरोना वायरस के मरीजों में यह देखा गया है कि उन्हें ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं होते. 

क्यों कोरोना मरीजों की चलते-फिरते अचानक हो रही है मौत, सामने आई चौंकाने वाली वजह

नई दिल्ली: सोशल मीडिया (Social Media) पर चीन (China) की ऐसी तस्वीरें आपने बहुत देखी होंगी जिसमें कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीज चलते-चलते गिर गए और उनकी मौत हो गई. इस हालत को साइलेंट हाइपोक्सिया कहते हैं और इसी से लड़ने के लिए ऑक्सीमीटर काम आ सकता है. दरअसल, दिल्ली सरकार ने आज ऐलान किया है कि होम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीजों को पल्स मीटर दिया जाएगा. जिससे वह घर पर रहकर अपने ऑक्सीजन के स्तर को नाप सकें और जरूरत पड़ने पर अस्पताल आ जाएं.

ऐसे में यह समझना जरूरी है कि सरकार ने यह फैसला क्यों लिया. दरअसल दिल्ली समेत देशभर के अस्पतालों में कोरोना के जो भी मरीज भर्ती हैं उनमें से 70 फीसदी को ऑक्सीजन सपोर्ट पर ही रखा जा रहा है. यानी ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से ही उनकी अस्पताल पहुंचने की नौबत आई. ऐसे में ऑक्सीमीटर आपकी मदद कर सकता है. सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि ऑक्सीमीटर की जरूरत किसको पड़ती है.

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किन लोगों के पास ऑक्सीमीटर होना जरूरी
- कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज
- 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग 
- किडनी, लिवर, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज के मरीज 
- यह वह ग्रुप है जिन्हें समय-समय पर ऑक्सीजन का स्तर चेक करते रहना चाहिए

ऑक्सीजन का नॉर्मल स्तर
शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने को मेडिकल भाषा में हाइपोक्सिया कहते हैं. औसतन एक व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 96 से 100 के बीच में होना चाहिए. अगर यह स्तर 90 से कम हो जाए तो अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है. 75 से कम होने पर हालत गंभीर हो सकती है. 

लेकिन कोरोना वायरस के मरीजों में यह देखा गया है कि उन्हें ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं होते. ऐसा माना जा रहा है कि ब्रेन का वह हिस्सा जो ऑक्सीजन की कमी का सिग्नल देता है कोरोना के अटैक के केस में काम नहीं करता.

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साइलेंट हाइपोक्सिया के लक्षण
आमतौर पर ऑक्सीजन कम हो तो सांस फूलना, थकान होना, किसी से एक लाइन की बात भी ना कर पाना, ऐसे लक्षण होते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के मरीजों में यह लक्षण नजर नहीं आते. इसी स्थिति को साइलेंट हाइपोक्सिया कहते हैं. ऐसी नौबत ना आए इसलिए ऑक्सीजन के स्तर को समय-समय पर नापते रहना जरूरी है.

हालांकि कुछ गंभीर मरीजों के ऑक्सीजन का लेवल आमतौर पर 90 के करीब रहता है. लेकिन अगर कोई फिट व्यक्ति है और उसके ऑक्सीजन का लेवल कोरोना वायरस की स्थिति में 90 की तरफ जा रहा है तो उसे सावधान होने और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है. 

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