केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि कानून (New Farm Law) अचानक वापस लिए जाने के ऐलान पर आंदोलनकारी किसानों (Farmers Protest) ने निराशा जताई है. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर लिखा है.
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नई दिल्ली/लखनऊ: केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि कानून (New Farm Law) अचानक वापस लिए जाने के ऐलान पर आंदोलनकारी किसानों (Farmers Protest) ने निराशा जताई है. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर लिखा. लेटर में चेतावनी दी गई कि जब तक सरकार उनकी 6 मांगों पर वार्ता बहाल नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
किसान संगठनों ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनवाने के लिए सोमवार को लखनऊ में महापंचायत करने के फैसले पर अडिग हैं. SKM ने अपने ओपन लेटर में तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले पर आभार जताया. साथ ही कहा, ‘11 दौर की वार्ता के बाद, आपने द्विपक्षीय समाधान के बजाए एकतरफा घोषणा करने का रास्ता अपनाया.’
SKM ने अपने ओपन लेटर में कहा, 'प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों (Farmers Protest) से अपील की है कि अब हमें वापस लौट जाना चाहिए. हम आपको यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़कों पर बैठने का कोई शौक नहीं है. हमारी भी यही इच्छा है कि इन लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान होने के बाद हम अपने घरों, परिवारों और खेतों को लौट सकें. अगर आप ऐसा चाहते हैं, तो सरकार को हमारी 6 मांगों पर जल्द से जल्द किसानों के साथ वार्ता बहाल करनी चाहिए. तब तक, संयुक्त मोर्चा का आंदोलन जारी रहेगा.'
मोर्चा ने कहा कि इन 6 मांगों में उत्पादन की व्यापक लागत के आधार पर एमएसपी को सभी कृषि उपज के लिए किसानों का कानूनी अधिकार बनाने, लखीमपुर खीरी घटना में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए स्मारक का निर्माण शामिल है. SKM ने पर्यावरण संबंधी अधिनियम में किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाए जाने और प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक 2020-2021 के मसौदे को वापस लेने की भी मांग की है.
सिंघु बॉर्डर पर प्रेसवार्ता में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, 'हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.' संगठन ने कहा कि एसकेएम आगे की कार्रवाई पर विचार करने के लिए 27 नवंबर को फिर बैठक करेगा.
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वहीं बीकेयू नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने लोगों से लखनऊ में सोमवार को हो रही 'एमएसपी अधिकार किसान महापंचायत' में शामिल होने का आग्रह किया, जिसे किसान संगठनों द्वारा ताकत दिखाने की कवायद माना जा रहा है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ. सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि एवं किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.’
उधर, सरकारी सूत्रों ने रविवार को कहा कि तीन कृषि कानूनों (New Farm Law) को रद्द करने से संबंधित विधेयकों को मंजूरी दिए जाने पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विचार किए जाने की संभावना है ताकि उन्हें संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सके.
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