सुप्रीम कोर्ट में याचिका, संविधान की प्रस्तावना से हटे 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द?
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सुप्रीम कोर्ट में याचिका, संविधान की प्रस्तावना से हटे 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द?

संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में याचिका दायर की गई है.

 

 

 

नई दिल्ली: संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि सेक्युलरिज़्म-सोशलिज़्म राजनीतिक विचार हैं. इन्हें नागरिकों पर थोपा जा रहा है. यह याचिका वकील विष्णु शंकर जैन ने दायर की है.

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि, 1976 में किया गया संशोधन "संवैधानिक सिद्धान्तों के साथ-साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषय-वस्तु के विपरीत था. यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में लिखे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के नजरिए से अवैध था. इस बाबत अधिवक्ता बलरामसिंह और करुणेश शुक्ला ने दायर याचिका के संबंध में कोर्ट से अनुरोध किया कि इस संबंध में उचित निर्देश दें.

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