10 दिन की गौरी को 'नाम' और 'जिंदगी' मिलने के बाद अब 'आशियाने' का है इंतजार
Advertisement

10 दिन की गौरी को 'नाम' और 'जिंदगी' मिलने के बाद अब 'आशियाने' का है इंतजार

अब तक गौरी को गोद लेने के लिए हिमाचल, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकता, मध्य प्रदेश सहित तमाम स्थानों से 60 से ज्यादा कॉल्स आ चुके हैं.

नवजात बच्ची | फोटो साभार: IANS

गौतमबुद्ध नगर: लोक-लाज के भय से बेरहम-बेहाल कलियुगी मां-बाप लॉकडाउन (Lockdown) में सूनी सड़कों पर तौलिये में लपेट कर तपती धूप में चार दिन की मासूम को बिना कोई 'नाम' दिए हुए ही फेंक गए. यह भी नहीं सोचा कि यह मासूम धूप से तपती सड़क की गर्मी को कैसे बर्दाश्त करेगी? न ही यह सोचा कि दुधमुंही भूख-प्यास लगने पर तड़पेगी मगर अपनी बात किसी से कह नहीं पाएगी.

  1. बच्ची को नोएडा सेक्टर-27 में स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था
  2. गौरी के जन्म के संभावित दिनों में गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में 53 महिलाओं की डिलीवरी हुई थी
  3. जब तक गौरी 60 दिन की नहीं हो जाएगी तब तक उसे कोई गोद नहीं ले सकता है

कोराना सी महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बीच यह दिल दहला देने वाली घटना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हाईटेक शहर नोएडा में सामने आई है. सड़क पर लावारिस हाल में मासूम बच्ची पड़ी होने की सूचना पर फेज-3 नोएडा थाना पुलिस और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) श्रद्धा पाण्डेय घटनास्थल पर पहुंचीं.

इस मार्मिक घटना के बारे में एक एनजीओ के व्यवस्थापक और हाल-फिलहाल में मासूम बच्ची का लालन-पालन करा रहे सत्य प्रकाश के मुताबिक, '28 अप्रैल की शाम करीब सात बजे के आसपास गौतमबुद्ध नगर पुलिस को 112 के जरिए बच्चे के सड़क पर पड़े होने की खबर मिली. चार दिन की बच्ची कपड़ों में लपेट कर पर्थला गोलचक्कर के पास रखी गई थी.'

सत्य प्रकाश ने आगे कहा 'बच्ची की जिंदगी बचाना बेहद जरूरी था. लिहाजा उसे नोएडा सेक्टर-27 स्थित एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. जहां बच्ची को स्वस्थ्य बताया गया. डॉक्टरों ने बच्ची की उम्र चार दिन बताई.'

चाइल्ड लाइन के कार्यक्रम प्रबंधक सत्य प्रकाश के मुताबिक, फिलहाल चार दिन की लावारिस बच्ची अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन द्वारा हमें देखभाल के लिए दे दी गई है.

ये भी पढ़ें- पुलिसकर्मी पत्नी की हत्या करने के बाद हेड कांस्टेबल ने खुद को भी मारी गोली, जांच में जुटी पुलिस

सत्य प्रकाश के मुताबिक, 'हम लोग बच्ची का लालन-पालन कर रहे हैं. बच्ची को 'गौरी' नाम दिया गया है. गौरी हमारे पास 33वां बच्चा है. गौरी को लावारिस छोड़ कर जाने वाला कौन है? इसकी तलाश में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और पुलिस दिन-रात जुटी है. अब तक हमारे पास गौरी से पहले जो भी 32 ऐसे बच्चे आए हैं, उनमें से किसी भी मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी. गौरी का चोरी छिपे इस घिनौने और गैर-कानूनी तरीके से परित्याग करने का यह ऐसा पहला मामला है. जिसमें गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने बाकायदा थाने में एफआईआर दर्ज की है.'

सूत्रों के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने चार दिन की गौरी को लॉकडाउन के दौरान सूनी सड़क पर फेंक जाने वालों की तलाश में दिन-रात एक कर रखा है. सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा चुके हैं. पुलिस छानबीन में ही पता चला है कि गौरी के जन्म के आसपास के संभावित दिनों में गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिले में 53 महिलाओं का प्रसव कराया गया था. इनमें से 25 प्रसव पीड़ा मामलों में अस्पतालों में कोई मोबाइल नंबर दर्ज नहीं मिला है. अब पुलिस इन पते-ठिकानों पर गौरी को इस हाल में फेंकने वालों की तलाश में खाक छान रही है.

सत्य प्रकाश ने कहा, 'बाल कल्याण समिति की डबल बेंच ने गौरी को मथुरा स्थित राज्य सरकार के एडॉप्शन सेंटर में दाखिल करने को कहा है. इसके लिए एंबुलेंस, डॉक्टर-नर्स सबका इंतजाम है. बस मुश्किल यह है कि, अब करीब 10 दिन की मासूम गौरी को गौतमबुद्ध नगर से मथुरा तक कोरोना की इस महामारी में सफर करवाना शायद बाजिव नहीं होगा. लिहाजा जैसे ही कोरोना का कहर कम होता है, गौरी को उनके आशियाने मथुरा स्थित एडाप्शन सेंटर में पहुंचा दिया जाएगा. फिलहाल मंगलवार को गौरी का नियमित होने वाला अनिवार्य टीकाकरण करवा दिया गया है.'

सत्य प्रकाश ने ये भी कहा, 'अब तक गौरी को गोद लेने के लिए हिमाचल, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकता, मध्य प्रदेश सहित तमाम स्थानों से 60 से ज्यादा कॉल्स आ चुके हैं. जब तक गौरी 60 दिन की नहीं हो जाएगी, तब तक हम किसी को भी गौरी को नहीं सौंप सकते हैं. 'कारा' यानी सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की यही गाइड लाइन भी हैं.'

LIVE TV

Trending news