अपनी 100वीं मैराथन दौड़ने के बाद इस 80 साल के 'जवान' ने ली 'विदाई'
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अपनी 100वीं मैराथन दौड़ने के बाद इस 80 साल के 'जवान' ने ली 'विदाई'

मुंबई के डॉक्टर पी एस रमाणी ने मैराथन स्पर्धा में शामिल होने का शतक ठोंका है

मुंबई में अपनी 100वीं मैराथन पूरी करने के बाद उन्होनें मैराथन की दौड़ से विदा लेने की घोषणा भी की

सुस्मिता भदाणे, मुंबई: मुंबई के डॉक्टर पी एस रमाणी ने मैराथन स्पर्धा में शामिल होने का शतक ठोंका है. यह कारनामा उन्होंने उस वक्त कर दिखाया है जब डॉक्टर रमाणी की उम्र 80 साल की हो चुकी है. वह देश-विदेशों में मैराथन में दौड़े हैं. मुंबई में अपनी 100वीं मैराथन पूरी करने के बाद उन्होनें मैराथन की दौड़ से विदा लेने की घोषणा भी की है. हालांकि इस दौरान डॉक्टर रमाणी ने यह भी साफ किया है कि वह बेहतर सेहत के लिए आगे भी काम करते रहेंगे.

मुंबई के स्पाइन सर्जन 80 साल के डॉक्टर पी एस रमाणी का सपना था कि वे 100 मैराथन में हिस्सा लें. वह सपना हाल ही में ही पूरा हो गया. 80 साल के उम्र में उन्होंने 100वें मैराथन में दौड़ लगाई है. सपना पूरा होने के बाद उनकी आंखो में आंसू थे. हालांकि दौड़ने का जज्बा कायम है लेकिन अब वह मैराथन में नही दौड़ेंगे.

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इस दौरान डॉक्टर रमाणी ने कहा, "28 साल पहले जब पहली बार मैराथन दौडा था. तब से लेकर अब तक मानो यह सफर एक सपने की तरह ही रहा है, उम्र बढ़ती गई लेकिन एक सपना था मैराथन दौड़ने की सेंच्युरी लगाने का जो आज पूरा हो गया. बहुत अच्छा लग लगा है. आगे भी दौड़ूंगा, लेकिन अब मैराथन में नहीं बल्कि मॉर्निंग वॉक के लिए. शरीर थका है लेकिन मन नहीं और मन अभी भरा भी नहीं है."

मैराथन वाले डॉक्टर रमाणी की कहानी भी दिलचस्प है. रमाणी के घर की माली हालत खराब थी. जिसके चलते बचपन में उन्हें रोजाना 20 किलोमीटर चलने की आदत हो गयी थी. स्कूल जाने और आने में 20 किलोमीटर का यह फासला तय किया जाता था. तब से लेकर अब तक मानो चलने और दौड़ने की आदत बन गयी थी.

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28 साल पहले वह जब पहली बार मुंबई में मैराथन दौड़े तो उन्हें लगा कि यह अद्भूत है. इतने सारे लोगों का एक साथ दौड़ना उन्हें काफी प्रभावित कर गया. उम्र के 52 साल में मानो कोई खजाना मिल गया हो. फिर नियमित रुप से दौड़ना मानो एक दिनचर्या हो गया. यही नहीं वे भारत के अलावा जापान, अॅमस्टरडम, शिकागो जैसे आंतरराष्ट्रीय मैराथन में भी दौड़ने पहुंच गए.

डॉक्टर रमाणी कहते हैं, "दौड़ जीतने के लिए नहीं है, वह अपने आप को परखने के लिए है. मैराथन में दौड़ना अपने आप में पूर्णता की अनुभूति देता है. जब फिनिश लाइन पार होती है तो अपने आप पर गर्व महसूस होता है." 

ताजा अपडेट यह है कि अब यह 80 साल का जवान मैराथन में नहीं भागेगा. रमाणी ने बताया कि उनके पास जो भी लोग आते हैं उन्हें वह दौड़ने की सलाह देते हैं. अब वह लोगों को दौड़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे.

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