आसन की टेकरी वर्तमान में महाकाली मन्दिर के नाम से किशनगढ़ अजमेर में स्थित है. इतिहासकारों के अनुसार किशनगढ़ की स्थापना लगभग सन 1611 ईस्वी बसंत पंचमी से पहले का है.
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मनवीर सिंह, अजमेर: किशनगढ़ के गुन्दोलाव झील के किनारे स्थित आसान टेकरी महाकाली मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. नवरात्र को लेकर इलाके के लोगों के साथ दूर दराज से मां के दर्शन को लोग पहुंच रहे हैं. प्राकृतिक सौंदर्य के बीच मनमोहक इस मंदिर में हर दिन भक्तों का रेला लगा रहता है. किशनगढ़ क्षेत्र सहित नजदीकी गांवों के लोगों की अटूट श्रद्धा इस कदर है कि किसी भी घरेलू या सामाजिक कार्य की शुरुआत के पूर्व यहां पर मां के दर्शन अवश्य करते हैं.
आसन की टेकरी वर्तमान में महाकाली मन्दिर के नाम से किशनगढ़ अजमेर में स्थित है. इतिहासकारों के अनुसार किशनगढ़ की स्थापना लगभग सन 1611 ईस्वी में बसंत पंचमी से पहले का है. जब महाराजा किशनसिंह रूपनगर किले से आखेट खेलते हुए यहां आए थे और यहां का सौंदर्य देख उन्होंने अपने दुर्ग के निर्माण का मानस बनाया था. कहा जाता है उस वक़्त जहां अभी वर्तमान में किशनगढ़ दुर्ग स्थित है. वहां नाथ सम्प्रदाय के सिद्ध संत आसनदास महाराज अपनी आराध्या देवी जो कि महिषासुर मर्दिनी के मूर्ति स्वरूप में विराजमान थी और उनकी उपासना की जाती थी.
महाराजा किशनसिंह ने अपने दुर्ग निर्माण के लिए वहां की भौगोलिक स्थिति का अवलोकण करके आसनदास जी महाराज से प्रार्थना की कि वह अपना स्थान किसी दूसरी जगह बनाए क्योंकि यह स्थान दुर्ग निर्माण के लिए सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से अभेद्य है. तब वर्तमान में अभी जहां मन्दिर और भगवती का वह दिव्य स्वरूप स्थित है. आसनदास जी महाराज ने अपना धूना और भगवती के निज स्वरूप को लेकर पानी से भरे तालाब पर चलकर अपना उपासना स्थान वर्तमान स्थान पर बनाया.
वर्तमान में इस मंदिर की देख-भाल का कार्य महाकाली मंदिर ट्रस्ट धार्मिक समिति के द्वारा संचालित किया जा रहा है. मंदिर के प्रांगण में आसनदास जी महाराज का प्राचीन धूना महिषासुर मर्दिनी के प्राचीन दिव्य स्वरूप के साथ समिति द्वारा बनाये गणेश मंदिर शिव परिवार मंदिर एवं मंदिर की सेवार्थ नियुक्त रहे संतों की समाधि दर्शनीय स्थल है शारदीय नवरात्र पर माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है प्राचीन काल से प्रसिद्धि पाये आसन टेकरी काली माता मंदिर आज धीरे धीरे विकास की रफ्तार के साथ मंदिर का जीर्णोद्धार भी सामाजिक संस्थाओं व क्षेत्रवासियों के द्वारा करवाया जा रहा है एक छोटी सी गुफा में माता का मंदिर आज भव्यता लिए हुए नजर आ रही है यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि यहां जो भी मन्नत मांगते हैं माता रानी उसे पूरा करती है