केरल के सीएम पिनारई विजयन (Kerala's CM Pinarayi Vijayan) ने केरल पुलिस अधिनियम संशोधन (Kerala Police Act Amendment) का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी मुट्ठी को उठाने की आजादी है लेकिन ये वहीं खत्म हो जाती है जैसे ही दूसरे की नाक शुरू हो जाती है.
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नई दिल्लीः विपक्षी पार्टियों के कड़े विरोध के बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश (Kerala Police Act amendment ordinance) को मंजूरी दे दी है. एक्ट के लागू होने से अब राज्य में यदि कोई सोशल मीडिया पर किसी के लिए अपमानजनक या अभद्र भाषा का प्रयोग करता है या धमकी भरे पोस्ट करता है तो उसे दंड दिया जाएगा. हालांकि कंग्रेस पार्टी सहित दूसरे विपक्षी दलों ने सरकार पर इस अध्यादेश के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का आरोप लगाया है.
सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने पर मिलेगी सजा
मालूम हो कि केरल की एलडीएफ सरकार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे साइबर क्राइम को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है. लिहाजा राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इस संशोधन के अनुसार, जो कोई भी सोशल मीडिया के माध्यम से किसी पर धौंस दिखाने, अपमानित करने या बदनाम करने के इरादे से कोई पोस्ट डालता है तो उसे पांच साल तक कैद या 10000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों सजा हो सकती है.
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चिदंबरम ने जताई नाराजगी
आरिफ मोहम्मद द्वारा केरल में इस एक्ट को मंजूरी देने को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इसे लेकर नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि वो केरल सरकार के इस नियम से आश्चर्य में हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ''केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर तथाकथित भड़काऊ आपत्तिजनक पोस्ट करने के कारण पांच साल की सजा के नियम से आश्चर्य में हूं.''
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सफाई
वहीं विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह संशोधन पुलिस को और शक्ति देगा एवं प्रेस की आजादी में कटौती करेगा. वहीं केरल के सीएम पिनारई विजयन (Kerala's CM Pinarayi Vijayan) ने केरल पुलिस अधिनियम संशोधन (Kerala Police Act Amendment) का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी मुट्ठी को उठाने की आजादी है लेकिन ये वहीं खत्म हो जाती है जैसे ही दूसरे की नाक शुरू हो जाती है. हालांकि, इस विचार के कई बार उल्लंघन के उदाहरण हैं. समाज में हर व्यक्ति का सम्मान जरूरी है. इसकी संवैधानिक मान्यता भी है. सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसे सुनिश्चित करे.