मेहसाणा में यहां है रोटी घर, जहां रोज कुत्तों के लिए बनती है 3400 रोटियां
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मेहसाणा में यहां है रोटी घर, जहां रोज कुत्तों के लिए बनती है 3400 रोटियां

हर स्वयं सेवक 200 रोटी ले जाता है और अपने आस-पास के इलाके में नियमित रूप से कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

सेवा और आस्था की बाव से स्थानीय लोगों की टीम ये काम करती है.

मेहसाणा: आपने अब तक बेसहारा लोगों की मदद की हजारों कहानियां सुनी होंगी. भारत में कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो ऐसे लोगों के काम भी करती हैं. लेकिन, गुजरात के मेहसाणा में उंजा के एक मंदिर में संस्था द्वारा रोटी का इंतजाम इंसानों के लिए नहीं, बल्कि विशेष रूप से आवारा कुत्तों के लिए बनाया जाता है, रोटी घर में महिलाएं खाना निस्वार्थ भाव से बनाती हैं. इस रोटी घर को चलने के लिए पूरा खर्च और संचालन श्री जहु माता मंदिर द्वारा ही किया जाता है.

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खाना एक दो-कुत्तों को नहीं बल्कि रोज 3400 रोटियां कुत्तों के लिए बनाई जाती है. उसके बाद आस-पास और दूर के इलाकों में आवारा कुत्तों के लिए इस खाने का इंतजाम किया जाता है. खाना बनाए जाने के बाद इस खाने को भटकते भूखे कुत्तों तक पहुंचाया जाता है. सेवा और आस्था की बाव से स्थानीय लोगों की टीम ये काम करती है. सेवाभाव से काम करते हुए इन लोगों ने लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है. 

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जानकारी के मुताबिक, रोटी घर में 100 या 200 रोटियां नहीं, बल्कि रोज कुत्तों के लिए 3400 रोटियां बनाई जाती हैं. जानकारी के मुताबिक, यह खाना बनाने के लिए जो महिलाएं इस रोटी घर में आती है. उनका शेड्यूल तय होता है. रोटियों के तैयार होने के बाद दूर-दूर तक ये रोटियां कुत्तों तक पहुंचाई जाती है.  

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इस रोटी घर की स्थापना साल 2004 में हुई थी, जो लोगों के सहयोग से चल रहाहा. इस रोटी घर की स्थापना अरविंद भाई बारोट ने की थी, जो मंदिर के सेवक हैं. रोटी घर में 995 महिलाएं अपनी सेवा देती हैं, जिसमें से कई महिलाएं नौकरी करती है, लेकिन सेवा कार्य के लिए समय निकालकर ये पुण्यकार्य करती हैं.

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रोटियों को भटकते कुत्तों तक पहुंचाकर नियमित रूप से ये सेवा कर रही हैं. हर स्वयं सेवक 200 रोटी ले जाता है और अपने आस-पास के इलाके में नियमित रूप से कुत्तों को खाना खिलाते हैं.

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