जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो तीसरा फेज पूरा होने पर जोधपुर के अलावा पाली और बाड़मेर जिले में भी पेयजल समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा.
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जोधपुर/अरुण हर्ष: लंबे समय तक पेयजल समस्या की किल्लत जलने वाली पश्चिमी राजस्थान में अब जल्द ही पेयजल की समस्या दूर होने की उम्मीद है. राजस्थान सरकार ने राजीव गांधी लिफ्ट नहर के तृतीय फेस की शुरुआत की है. सरकार का मानना है कि इस योजना के पूरे होने पर जोधपुर, बाड़मेर और पाली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल की समस्या दूर होगी.
बता दें कि, जोधपुर शहर में लंबे समय से पेयजल किल्लत को देखते हुए राजीव गांधी लिफ्ट नहर परियोजना के तीसरे फेज को शुरू करने की मांग उठ रही थी. काफी समय से पेयजल विभाग के अधिकारी भी इस दिशा में काम कर रहे थे लेकिन अब इस योजना की स्वीकृति के लिए हरी झंडी मिल गई है. राज्य स्तरीय हाई पावर स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में 1454 करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद जल्द ही तीसरे फेज का काम शुरू होगा.
जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो तीसरा फेज पूरा होने पर जोधपुर के अलावा पाली और बाड़मेर जिले में भी पेयजल समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना के पूरा होने पर 2051 तक जोधपुर में पेयजल की समस्या नहीं होगी और इसके लिए जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है.
वहीं, जोधपुर शहर में ऐसे कई इलाके हैं जहां पानी का प्रेशर कम होने से पानी नहीं पहुंचता है अब उन क्षेत्रों में भी पानी की सप्लाई पहुंचाने के लिए जलदाय विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं. अक्टूबर महीने में जोधपुर शहर के तख्तसागर पर बने नए फिल्टर प्लांट का शुभारंभ हो जाएगा.
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह फिल्टर प्लांट ऊंचाई पर होने के कारण टेल एंड पर बैठे घरों को भी प्रेशर से पानी की सप्लाई होगी. इससे पानी की सप्लाई तो पूरी होगी ही बिजली की खर्च में भी कमी आएगी. इस फिल्टर प्लांट के शुरू होने से साढे तीन लाख घरों तक प्रेशर के साथ पानी सप्लाई होगा. इसके अलावा शहर के सुरपुरा बांध क्षेत्र में भी कार्य पूरा कर लिया गया है जिससे शहर से लगते ग्रामीण इलाकों में भी पर्याप्त मात्रा में पेयजल वितरित किया जा रहा है.
जल ही जीवन है और लंबे समय तक पश्चिमी राजस्थान ने जल संकट की स्थिति का सामना किया है. ऐसे में जिस तरह के सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं उससे यहां के लोगों को उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में उन्हें शायद जल संकट का सामना नहीं करना पड़े.