सुप्रीम कोर्ट में संविधान के बुनियादी ढांचे को अक्षुण्ण रखने को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता संत केशवानन्द भारती का आज सुबह निधन हो गया. वे केरल के कासागोड़ जिले के रहने वाले थे. वहीं पर बने उनके आश्रम में उनका निधन हुआ.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में संविधान के बुनियादी ढांचे को अक्षुण्ण रखने को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता संत केशवानन्द भारती का आज सुबह निधन हो गया. वे केरल के कासागोड़ जिले के रहने वाले थे. वहीं पर बने उनके आश्रम में उनका निधन हुआ. वे 79 वर्ष के थे.
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके अपनी श्रद्धांजलि दी है. पीएम मोदी ने कहा कि पूज्य केशवानंद भारती देश के महान संत और समाज सुधारक थे. उन्होंने संविधान के मूल्यों को आगे बढाने और देश की संस्कृति के प्रसार में अहम योगदान दिया. ओम शांति
We will always remember Pujya Kesavananda Bharati Ji for his contributions towards community service and empowering the downtrodden. He was deeply attached to India’s rich culture and our great Constitution. He will continue to inspire generations. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2020
बताते चलें कि केशवानन्द भारती ने केरल के भूमिहीन किसानों को जमीन बांटने के लिए राज्य सरकार की लाए गए भूमि सुधार कानूनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका में केरल भूमि सुधार कानून 1963 को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने संबंधी 29वें संविधान संशोधन को चुनौती दी गई थी.
केशवानंद ने इस कानून को मौलिक अधिकारों का हनन बताकर इस पर रोक लगाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 13 सदस्यीय संविधान पीठ गठित की. जिसने 68 दिनों तक मामले की सुनवाई की. इसी सुनवाई के दौरान 'बुनियादी ढांचा सिद्धांत' निकलकर सामने आया. केशवानन्द भारती की ओर से मशहूर वकील नानी पालकीवाला ने बहस की थी.
इस चर्चित मुकदमे में 24 अप्रैल 1973 को सुप्रीम कोर्ट ने 7:6 के बहुमत के आधार पर फैसला सुनाया था. हालांकि केशवानंद भारती को मुकदमे में व्यक्तिगत राहत नहीं मिली थी. लेकिन इसकी वजह से एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सिद्धांत प्रतिपादित हुआ जिसके तहत संशोधन के संसद के अधिकारों को सीमित किया जा सका.
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