महाराष्‍ट्र की इस बड़ी यूनिवर्सिटी ने किया अनिवार्य, सभी छात्रों को करनी होगी भारतीय संविधान की पढ़ाई
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महाराष्‍ट्र की इस बड़ी यूनिवर्सिटी ने किया अनिवार्य, सभी छात्रों को करनी होगी भारतीय संविधान की पढ़ाई

महाराष्ट्र की बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक औरंगाबाद की डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में आने वाले शैक्षणिक वर्ष से संविधान की पढ़ाई करना अनिवार्य होगा. 

फाइल फोटो...

मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad, की डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (Dr Babasaheb Ambedkar Marathwada University) में ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने वाले छात्र, चाहे वो जिस विषय के हों, को भारतीय संविधान की पढ़ाई करना अनिवार्य होगा. अब संविधान कैसे पढ़ाया जाए, इस पर तैयारी की जा रही है.

महाराष्ट्र की बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक औरंगाबाद की डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में आने वाले शैक्षणिक वर्ष से संविधान की पढ़ाई करना अनिवार्य होगा. ये फैसला यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रमोद येवले ने किया है. वाइस चांसलकर प्रमोद येवले का कहना है कि छात्रों को संविधान की जानकारी जरूर होनी चाहिए. छात्रों को संविधान से मिले मूल अधिकार, मूल कर्तव्य जैसी चीजें मालूम होनी चाहिए. ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक संविधान की पढाई करना अनिवार्य बनाने वाली ये देश की पहली यूनिवर्सिटी बताई जा रही हैं. प्रमोद येवले का कहना है कि इस यूनिवर्सिटी का नाम ही बाबा साहेब के नाम पर है, जिनका संविधान बनाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्रों को संविधान के बारे मे जानकारी होनी ही चाहिए.

दरअसल, डॉक्‍टर बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी राज्य की बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक है. इसमें 55 विभाग हैं, जिसमें अलग-अलग विषयों की पढ़ाई होती है. इस यूनिवर्सिटी से 425 कालेज जुड़े हैं और उनमें पढ़ने वाले छात्रों की संख्या तकरीबन साढ़े चार लाख तक हैं. इन यूनिवर्सिटी की स्थापना अगस्त 1958 में की गई थी. वाइस चांसलकर का ये निर्णय यूनिवर्सिटी के साथ ही उससे जुड़े कालेजों पर भी लागू होगा.

वाइस चांसलर के इस निर्णय को लेकर जब छात्र से बात की गई तो उनका कहना था कि ये अच्छा निर्णय है और कम से कम बाबा साहेब के नाम की यूनिवर्सिटी मे पढ़ने वाले छात्रों को तो संविधान की जानकारी होनी ही चाहिए. छात्रों का कहना है कि आमतौर पर सिर्फ मूल अधिकार, मूल कर्तव्य जैसी और कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में सुनते हैं, वे क्या हैं और कैसे उन्हें संविधान मे आम लोगों को दिया गया है, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है. इसके साथ ही आज के माहौल में जब संविधान को लेकर इतनी बातें हो रही हैं तो ऐसे में संविधान की पढ़ाई जरूरी हो जाती है.

फिलहाल वाइस चांसलर का ये निर्णय आना वाले शैक्षणिक सत्र से लागू होगा. ऐसे में देखना होगा कि संविधान की पढ़ाई को लेकर क्या मापदंड तय किए गए हैं.

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