प्रवासी मजदूरों को लेकर सियासत बहुत हुई. उनकी तकलीफों को सरकार ने भी समझा और अब इसे एक अवसर के रूप में मानकर,उनके लिए सरकार ने मेगा प्लान तैयार किया है.
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नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों को लेकर सियासत बहुत हुई. उनकी तकलीफों को सरकार ने भी समझा और अब इसे एक अवसर के रूप में मानकर,उनके लिए सरकार ने मेगा प्लान तैयार किया है. देश के 116 जिलों को फोकस करते हुए, केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए स्थायी योजना बनाने पर काम शुरू कर दिया है. 6 राज्यों के इन 116 जिलों में ही सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटे हैं.
मोदी सरकार ने लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी और रोजगार गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मेगा प्लान तैयार किया है. केंद्र सरकार ने देश के 6 राज्यों के उन 116 जिलों की पहचान की है जहां लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से चयनित 116 जिलों में सबसे ज्यादा 32 जिले, बिहार के हैं. उसके बाद यूपी के 31 जिले है. मध्यप्रदेश के 24, राजस्थान के 22, झारखंड के 3 और ओडिशा के 4 जिले हैं.
अब सरकार इन प्रवासी मजदूरों के लिए एक मेगा प्लान तैयार किया है. जिसके तहत अपने राज्यों और गांवों को लौटे करोड़ों प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास और रोजगार के लिए पूरा खाका तैयार किया गया है. अब इन 116 जिलों में केंद्र सरकार के सोशल वेलफेयर और डायरेक्ट बेनिफिट स्कीमों को तेजी से मिशन मोड में चलाया जाएगा. मकसद है कि घर लौटे प्रवासियों के लिए आजीविका, रोजगार, कौशल विकास और गरीब कल्याण सुविधाओं का लाभ सुनिश्चित किया जा सके.
इन जिलों में मनरेगा, स्किल इंडिया, जनधन योजना, किसान कल्याण योजना, खाद्य सुरक्षा योजना, पीएम आवास योजना समेत अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत तेजी से काम होगा. साथ ही हाल ही में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भी इन जिलों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही अन्य केंद्रीय योजनाओं को भी टार्गेटेड तरीके से लागू किया जाएगा.
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों को कहा गया है कि दो हफ्ते में इन जिलों को ध्यान में रखकर योजनाओं का प्रस्ताव तैयार करके पीएमओ को भेजे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का लक्ष्य तय किया है.
इसके लिए कई क्षेत्रों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की गई है. लेकिन ये पहली बार हो रहा है कि लगभग एक करोड़ मजदूरों को ध्यान में रखकर एक साथ कई योजनाओं को अमली जामा पहनाया जाएगा. सरकार का मानना है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद ये मजदूर अपने अपने राज्यों में ही बेहतर रोजगार पा सकेंगे. और ऐसा होता है तो भविष्य में किसी भी कोरोना जैसे संकट में, इन मजदूरों को पलायन करने की नौबत नहीं आएगी.
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