विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. 200 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस का आंकड़ा 99 पर आकर रुक गया था. मगर रामगढ़ उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 100 हो गई थी.
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जयपुर: राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर से मास्टर स्ट्रोक चला है. राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायक सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. सभी विधायक अब तक बाहर से कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे.
बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से सरकार के पास अब बहुमत से छह विधायक ज्यादा हो गए हैं. बसपा के सभी विधायक अब तक बाहर से कांग्रेस समर्थन दे रहे थे. बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों में उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्र गुड्डा, नदबई विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना, नगर विधायक वाजिब अली, करौली विधायक लाखन सिंह मीणा, तिजारा विधायक संदीप यादव और दीपचंद खेरिया का नाम शामिल है.
सभी विधायक रात 10:30 बजे विधानसभा पहुंचे और सीपी जोशी को कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का विलय पत्र सौंपा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जी मीडिया से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि सभी विधायकों ने यह फैसला राजस्थान में जनता के हित में लिया है. मुख्यमंत्री ने इन सभी विधायकों का कांग्रेस पार्टी में स्वागत किया है.
दरअसल, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. 200 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस का आंकड़ा 99 पर आकर रुक गया था. मगर रामगढ़ उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 100 हो गई थी. हालांकि, 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन कांग्रेस के पास हासिल था और बसपा विधायक भी कांग्रेस पार्टी के साथ थे लेकिन अब कांग्रेस ने अपने दम पर राजस्थान में बहुमत का आंकड़ा हासिल करते हुए अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.
इस घटनाक्रम से राजस्थान में इतिहास ने अपने आप को एक बार फिर से दोहराया है. अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी बसपा के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे. जिससे राजस्थान में बसपा की स्थिति कमजोर हुई थी. उसका वोट प्रतिशत भी आने वाले चुनाव में घट गया था. इस बार राजस्थान में बसपा के 6 विधायक फिर से जीत कर आए लेकिन इस बड़े झटके से बसपा को उबरने में वक्त लगेगा लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से राजस्थान की सियासत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू एक बार फिर से चला है. जिसके बाद अब निकाय और पंचायत चुनाव में कांग्रेस को इससे निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी.