सतीश पूनिया ने आज से 19 बरस पहले साल 2000 चूरू के सादुलपुर सीट से विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था.
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जयपुर: सतीश पूनिया बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बन गए हैं. पूनिया बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्षों में शुमार हैं. इतिहास के झरोखे से देखें तो सतीश पूनिया में कई बरस पहले ही पूर्व मुख्यमन्त्री भैंरोसिंह शेखावत ने संभावनाएं देख ली थीं. इन संभावनाओं को शेखआवत ने चूरू की जनता के सामने एक चुनाव सभा में जाहिर भी कर दिया था. वह कहा करते थे कि सतीश पूनिया का साथ नहीं देने वाले भविष्य में घाटे में रहेंगे. जब सतीश पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष बनाये जाने का ऐलान हुआ तो शेखावत का वह बयान भी कई लोगों को याद आ गया.
सतीश पूनिया पचपन साल से भी कम उम्र में बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बनने वाले पहले नेता हैं. इस दिसम्बर में पचपन की उम्र पूरी करने वाले पूनिया अभी आमेर से विधायक भी हैं. पूनिया तीसरी बार में विधायक बने हैं. कुछ-कुछ प्रदेशाध्यक्ष के मामले में भी ऐसा ही कहा जा सकता है. इस बार पूनिया अध्यक्ष बने तो यह तीसरा मौका था, जब प्रदेशाध्यक्ष के लिए उनका नाम चला. लेकिन पूनिया में सबसे पहले राजनीतिक संभावनाएं किसी ने देखी थी, तो वह थे पूर्व मुख्यमन्त्री भैंरो सिंह शेखावत.
दरअसल, सतीश पूनिया ने आज से 19 बरस पहले साल 2000 चूरू के सादुलपुर सीट से विधानसभा का उपचुनाव लड़ा था. तब पूर्व मुख्यमन्त्री की हैसियत से भैंरोसिंह शेखावत भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे. चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए शेखावत ने कहा था कि सतीश पूनिया में काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने सादुलपुर के लोगों को साफ कहा था कि चुनाव में कोई मतभेद और मनभेद न रखें. चौदह फरवरी 2000 की इस चुनावी सभा में शेखावत ने कहा था कि पूनिया का साथ अगर किसी ने नहीं दिया तो आज तो सतीश पूनिया घाटे में रह सकते हैं, लेकिन उनका साथ नहीं देने वाले लोग भविष्य में घाटे में रहेंगे. अब सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद शेखावत के दोहिते अभिमन्यु सिंह राजवी ने ज़ी मीडिया से उनकी यह रिकॉर्डिंग साझा की.
राजस्थान की राजनीति के अजातशत्रु के रूप में पहचान बनाने वाले भैंरोसिंह शेखावत राजनीति के जौहरी भी थे. सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने के साथ ही उनकी परख की क्षमता भी साबित हो गई. लेकिन 19 साल पुराना यह वीडियो सतीश पूनिया की शैली को दर्शाने में भी अहमियत रखता है. तब भी पूनिया बीजेपी के साथ आने वाले लोगों से यही कहते थे कि उनके पसीने की कीमत अगर खुद के खून से भी चुकानी पड़ी तो वो पीछे नहीं हटेंगे.
गौरलतब है कि, युवा सतीश पूनिया तब भी अपने कार्यकर्ताओं को तरजीह देते थे. आज भी वो अपने कार्यकर्ताओं की ताकत पर ही भरोसा जताते दिखते हैं. प्रदेशाध्यक्ष के लिए पूनिया के नाम का ऐलान होने के बाद आगामी निकाय चुनाव की चुनौती की बात आई तो पूनिया ने साफ कह दिया कि 36 साल से उनके साथ रहे कार्यकर्ता के दम पर वे आगे भी पार्टी को मजबूत करेंगे और चुनाव जिताएंगे.