अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर संविधान पीठ अक्टूबर में करेगी सुनवाई
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अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर संविधान पीठ अक्टूबर में करेगी सुनवाई

बीते 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने को लेकर छह याचिकाएं दायर हुई हैं, लेकिन उनमें से चार अभी भी दोषपूर्ण हैं और यह मुद्दे पर याचिकाकर्ता की गंभीरता को दर्शाता है. 

अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर संविधान पीठ अक्टूबर में करेगी सुनवाई

नई दिल्‍ली : जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है. केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है जो कि अक्टूबर के पहले हफ्ते से इस पर सुनवाई करेगी. जम्मू कश्मीर में 370 हटाए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में करीब 14 याचिकाएं लगी है. 

बुधवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में कानून के छात्र मोहम्मद अलीम सैयद को उसके माता-पिता से मिलने की इजाजत दी. कोर्ट ने अलीम को अपने पिता से अनंतनाग में मिलने की इजाजत दी. कोर्ट ने सरकार को अलीम सैयद की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा.

इसके अलावा आज की सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए CPM महासचिव सीताराम येचुरी के वकील ने उनका हवाला देते हुए कहा कि मैं अपनी पार्टी के बीमार पूर्व विधायक से नहीं मिल पाया. मुझे एयरपोर्ट से लौटा दिया गया. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आदेश देते हैं, आप जाइए. सिर्फ अपने दोस्त से मिलने के लिए. उनका हाल-चाल लीजिए.वापस आ जाइए और कोई गतिविधि न करें.

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दरअसल,  एक वकील की ओर से दायर याचिका में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को लेकर जारी की गई अधिसूचना को असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार इस तरीके का काम करके देश में मनमानी कर रही है. राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है और केंद्र को संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए. वहीं कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने भी अर्जी दाखिल की है. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण समाप्त करने की मांग की गई है.

आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया था. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से भारी बहुमत से पास हुआ था और उसके बाद राष्ट्रपति ने आदेश जारी किया था. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद सुरक्षा के लिहाज से एहतियात के तौर पर कुछ कदम उठाए गए थे.

इससे पहले अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लगातार कश्मीर में कर्फ्यू, फोन लाइन, मोबाइल इंटरनेट, न्यूज़ चैनल के बंद होने जैसी बातों को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश देने से इंकार किया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकार को हालात सामान्य करने के लिए और वक्त दिया जाना चाहिए. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी थी.इस याचिका में मांग की गई थी कि 370 हटने के बाद जो विपक्षी दलों के नेताओं की गिरफ्तारी की गई है उन्हें रिलीज किया जाए. साथ ही कश्मीर में वर्तमान हालात के लिए एक ज्यूडिशियल कमीशन बनाने की भी मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि अब जबकि 370 हट गया है और भारत का संविधान लागू हो गया है तो लगातार कर्फ्यू और सेवाओं का बंद होना संविधान के आर्टिकल 19 और 21 का उल्लंघन है. हालांकि याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने 370 हटाने का विरोध नहीं किया था.

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