सुनंदा पुष्कर केस: शशि थरूर को मिली सशर्त अग्रिम जमानत, स्वामी बोले- 'जश्न मनाने की जरूरत नहीं'
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सुनंदा पुष्कर केस: शशि थरूर को मिली सशर्त अग्रिम जमानत, स्वामी बोले- 'जश्न मनाने की जरूरत नहीं'

दिल्ली पुलिस ने थरूर की याचिका का विरोध किया. अदालत ने पांच जून को इस मामले में पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था. 

सुनंदा पुष्कर को दिल्ली के लीला पैलेस होटल में 17 जनवरी 2014 को रहस्यमयी हालत में मृत पाया गया था. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : सुनंदा पुष्कर मामले में दिल्ली की एक स्थानीय कोर्ट ने गुरुवार (5 जुलाई) को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अग्रिम जमानत दे दी है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार ने मामले की सुनवाई के दौरान शशि थरूर को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर थरूर को अग्रिम जमानत दे दी. दिल्ली पुलिस ने थरूर की याचिका का विरोध किया. अदालत ने पांच जून को इस मामले में पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था. तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर (62) को शनिवार को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष पेश होने को कहा था.

  1. 2014 में एक होटल में मृत पाईं गई थी सुनंदा
  2. पुलिस ने दायर की 3000 पन्नों की चार्जशीट
  3. शशि थरूर पर लगा था आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप

थरूर को जश्न मनाने की जरूरत नहीं : स्वामी
कांग्रेस सांसद शशि थरूर को मिली जामनत के बाद बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि उन्हें इस बात पर खुशी जाहिर करने की आवश्यकता नही हैं. उन्होंने कहा, 'शशि थरूर का जश्न मनाने की जरूरत नहीं है, वह तिहाड़ जेल में बंद नहीं थे, वह सोनिया और राहुल गांधी के साथ बैठ सकते हैं, वे भी जमानत-दीवार हैं.'

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वकील ने दिया एसआईटी रिपोर्ट का हवाला
इससे पहले, मजिस्ट्रेट अदालत आत्महत्या के लिए उकसाने और सुनंदा पुष्कर को प्रताड़ित करने के कथित अपराधों में बतौर आरोपी थरूर को समन कर चुकी है. थरूर ने वकील विकास पाहवा के माध्यम से दायर अर्जी में कहा है कि गिरफ्तारी के बिना ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है और एसआईटी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जांच पूरी हो गई है और हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जरूरत नहीं है. थरूर के वकील ने कहा था कि यदि गिरफ्तारी के बिना आरोपपत्र दाखिल किया गया है कि जमानत दी जानी चाहिए.

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क्या है पूरा मामला
सुनंदा 17 जुलाई 2014 को दिल्ली के एक आलीशान होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं. थरूर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (पति या रिश्तेदार के हाथों महिला की प्रताड़ना) और 306 (आत्महत्या क लिए उकसाना) के तहत आरोप लगाये गये हैं. करीब 3000 पन्नों के आरोपपत्र में पुलिस ने थरूर को एकमात्र आरोपी बताते हुए आरोप लगाया है कि वह अपनी पत्नी को प्रताड़ित करते थे. 

दंपति का घरेलू सहायक नारायण सिंह इस मामले में मुख्य गवाह है. धारा 498 ए के तहत अधिकतम तीन साल कैद जबकि 306 के तहत अधिकतम 10 साल कैद की सजा का प्रावधान . दिल्ली पुलिस ने सुनंदा की मौत के सिलसिले में एक जनवरी , 2015 को अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था. सूत्रों के अनुसार , आरोपपत्र में कहा गया है कि सुनंदा को मानसिक और शारिरिक दोनों रूपों में प्रताड़ित किया जाता था.

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