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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुई क्षति के लिए 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों (Anti-CAA Protesters) के विरुद्ध शुरू की गई कार्रवाई और रिकवरी नोटिस वापस ले ली है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकान्त की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार करोड़ों रुपये की पूरी राशि वापस करेगी, जो 2019 शुरू की गई कार्रवाई के तहत कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली गई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि उसने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ शुरू की गई समस्त कार्रवाई और भरपाई के लिए जारी नोटिस वापस ले लिए हैं. बहरहाल, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नए कानून के तहत कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की स्वतंत्रता प्रदान की.
सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति नष्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार भरपाई कानून को 31 अगस्त 2020 को अधिसूचित किया गया था. पीठ ने अतिरिक्त एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार को निधि निर्देशित करने की बजाय दावा अधिकरण का रुख करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को जानकारी देते हुए यूपी सरकार (UP Govt) ने बताया कि संपत्ति नष्ट करने के लिए और सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जारी 274 नोटिस को 13 और 14 फरवरी को वापस ले लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार को नए कानून के तहत कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया शुरू की छूट दी. उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 में कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी भरपाई नोटिस पर कार्रवाई की थी, जिसके लिए शीर्ष अदालत ने 11 फरवरी को सरकार को फटकार लगाई थी. इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार को अंतिम अवसर दिया था कि वह कार्रवाई वापस ले हुए चेतावनी दी थी कि उसकी यह कार्रवाई कानून के खिलाफ है इसलिए अदालत इसे निरस्त कर देगी.
कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई उस कानून के विरुद्ध है, जिसकी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने की है. कोर्ट परवेज आरिफ टीटू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में अनुरोध किया गया था कि कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस रद्द किए जाएं.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी पीटीआई)
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