Supreme Court Electoral Bonds Judgement: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी है. 2018 में शुरू हुई इस योजना का फायदा सिर्फ सत्ताधारी बीजेपी को ही नहीं मिला. कांग्रेस, TMC, DMK, AAP जैसे तमाम विपक्षी दलों को करोड़ों रुपये के चुनावी बॉन्ड मिले.
Trending Photos
Electoral Bonds Scheme Verdict: चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. तत्काल प्रभाव से चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाते हुए SC ने योजना को 'असंवैधानिक' करार दिया. शीर्ष अदालत ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के नाम चुनाव आयोग को मुहैया कराने को कहा है. बाद में उनकी लिस्ट पब्लिक की जाएगी. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने SC के फैसले को 'नोटों पर वोटों की जीत' करार दिया. पार्टी के सांसद राहुल गांधी ने X पर कहा कि 'बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था. आज इस बात पर मुहर लग गई है.' कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह योजना बीजेपी 'काला धन परिवर्तन' योजना था. अन्य विपक्षी दलों ने भी बीजेपी को निशाने पर लिया. हालांकि, चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा सिर्फ बीजेपी ने नहीं, लगभग हर बड़े राजनीतिक दल ने लिया है. कांग्रेस हो या बीजू जनता दल (BJD) या फिर DMK, तमाम विपक्षी दलों ने पिछले करीब 6 साल में चुनावी बॉन्ड के जरिए करोड़ों रुपये का चंदा लिया.
चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को
चुनावी बॉन्ड के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) भी था. ADR ने चुनाव आयोग और स्टेट बैंक के आंकड़ों के आधार पर बताया 2016-17 और 2021-22 के बीच सबसे ज्यादा चंदा (10,122.031 करोड़ रुपये) सत्ताधारी बीजेपी को मिला. इसमें से करीब 52% चंदा (₹5271.97 करोड़) चुनावी बॉन्ड के जरिए आया.
पार्टी का नाम | चुनावी बॉन्ड से मिला चंदा (2016-17 से 2021-22 के बीच) |
BJP | 5271.97 करोड़ रुपये |
BJP | 952.29 करोड़ रुपये |
AITC | 767.88 करोड़ रुपये |
NCP | 63.75 करोड़ रुपये |
BJD | 622 करोड़ रुपये |
TRS | 383.65 करोड़ रुपये |
DMK | 431.50 करोड़ रुपये |
YSR-C | 330.44 करोड़ रुपये |
SHS | 101.38 करोड़ रुपये |
AAP | 48.83 करोड़ रुपये |
TDP | 112.60 करोड़ रुपये |
JDU | 24.40 करोड़ रुपये |
SP | 14.05 करोड़ रुपये |
JDS | 48.78 करोड़ रुपये |
SAD | 7.26 करोड़ रुपये |
AIADMK | 6.05 करोड़ रुपये |
JMM | 1 करोड़ रुपये |
SDF | 0.5 करोड़ रुपये |
CPM ने नहीं लिया एक भी चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वालों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी CPI-M भी शामिल थी. पिछले साल, मामले में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने SC को बताया था कि केवल CPI-M की इकलौती पार्टी है जिसने चुनावी बॉन्ड नहीं लिए. गुरुवार को SC का फैसला आने के बाद, CPI-M के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, "सैद्धांतिक रूप से, हम एकमात्र पार्टी हैं जिसने चुनावी बॉन्ड स्वीकार नहीं किया. हम चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक भ्रष्टाचार का वैधीकरण मानते हैं... फिर भी, यह एक स्वागत योग्य निर्णय है. इससे इस सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ने के दावों की पोल खुल गई है."
#WATCH | On the Supreme Court's verdict on the Electoral Bond scheme, CPI(M) Secretary-General Sitaram Yechury says, "CPM was the only petitioner, the only political party who had the locus-standi to argue against the electoral bonds. As a matter of principle, we are the only… pic.twitter.com/JFzI3fzhzV
— ANI (@ANI) February 15, 2024
योजना से दिक्कत थी तो क्यों चुनावी बॉन्ड लेता रहा विपक्ष
SC के फैसले के बाद तमाम विपक्षी दल इस स्कीम का खुलकर विरोध करने लगे. राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि 'चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है.' गहलोत शायद यह भूल गए कि अगर यह घोटाला है तो उसमें उनकी पार्टी भी शामिल हैं. पिछले करीब छह सालों में चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा लेने वालों में कांग्रेस भी एक है. यह सवाल तो उठेगा कि अगर विपक्षी दलों को योजना की नीयत पर शक था तो फिर वह इसके जरिए करोड़ों रुपये का चंदा क्यों लेते रहे.