5 लोगों के साथ मुहर्रम जुलूस निकालने की सुप्रीम कोर्ट ने अभी नहीं दी इजाजत
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5 लोगों के साथ मुहर्रम जुलूस निकालने की सुप्रीम कोर्ट ने अभी नहीं दी इजाजत

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना पक्ष रखा कि मुहर्रम जुलूस (Muharram procession) हर साल निकाली जाती है, सुप्रीम कोर्ट ने इसका जवाब देते हुए कहा कि कोरोना (Corona) हर साल नहीं होता, विषय पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 5 लोगों के साथ मुहर्रम जुलूस (Muharram procession) निकालने की इजाजत फिलहाल नहीं दी है. वहीं याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोरोना संकट काल में सरकारी गाइडलाइन (Official guideline) को ध्यान में रखते हुए केवल 5 लोगों को ही शामिल करना चाहते हैं. 

  1. 28 राज्य सरकारों को वादी बनाया जाये: SC
  2. मुहर्रम इस्लामिक वर्ष का पहला महीना होता है
  3. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हुसैन को याद करते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को लेकर याचिकाकर्ता को कहा कि मुहर्रम जुलूस पूरे देश में जगह-जगह निकाला जाएगा, इसलिए इसकी सुनवाई में हर राज्य सरकार की मंजूरी या उनका पक्ष सुनना जरूरी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि वो अपनी याचिका में 28 राज्य की सरकारों को भी वादी बनाएं, जिसके बाद सुनवाई की जाएगी. 

मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे(SA Bobde), जस्टिस ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन (Justice V Ramasubramanian) की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील वासी हैदर (Vasi Haidar) से कहा कि वह अपनी याचिका में 28 राज्यों को पार्टी बनाएं और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग करें. जिसमें जुलूस को केवल एक सीमित क्षमता में होने दिया जाए. यानी केवल 5 लोग जुलूस में शामिल रहें.

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याचिकाकर्ता के वकील वासी हैदर ने कहा कि मुहर्रम के लिए आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) सरकार द्वारा COVID-19 संक्रमण को देखते हुए इसके अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव ने दिशानिर्देश जारी किये हैं. जिसमें कहा गया कि मुहर्रम (शहादत) के अंतिम दिनों (9वें और 10 वें दिन) को केवल मुजावर, मुथावली या प्रबंध समितियों द्वारा बिना किसी सार्वजनिक जुलूस निकाला जाना चाहिए. हैदर ने कहा किमोहर्रम में बस 4 दिन बाकी हैं और इसके लिए कोर्ट की अनुमति जरुरी है. 

गौरतलब है कि 'मुहर्रम' इस्लामिक वर्ष का पहला महीना होता है. इस महीने की 10वीं को यह पर्व मनाया जाता है. इस्लाम प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हुसैन को उन्हें याद करते हैं. शोक के प्रतीक के रूप में इस दिन ताजिये के साथ जूलूस निकालने की परंपरा है. ये जुलूस इमाम बारगाह से निकलता है और कर्बला में जाकर खत्म होता है.(इनपुट आईएएनएस) 

 

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