पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने NRC ड्राफ्ट में जगह न पा सके 40 लाख लोगों को दावे और आपत्ति दाखिल करने के लिए 15 दिसंबर 2018 तक का और वक्त दिया था.
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नई दिल्ली: असम में नागरिक रजिस्टर (NRC) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि चुनाव के बावजूद NRC के लिए सुरक्षा बल या स्टाफ की कमी नहीं होने दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने NRC का काम पिछले साल 31 जुलाई तक पूरा करने का आदेश दिया हुआ था. कोर्ट ने चुनाव के चलते इस मियाद को बढ़ाने से इंकार कर दिया था. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने NRC ड्राफ्ट में जगह न पा सके 40 लाख लोगों को दावे और आपत्ति दाखिल करने के लिए 15 दिसंबर 2018 तक का और वक्त दिया था.
दरअसल, पहले ये मियाद 25 नवंबर 2018 थी. सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए 5 और दस्तावेजों के इस्तेमाल की इजाज़त दी थी. पहले सिर्फ 10 दस्तावेजों को मान्यता दी थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी की फाइनल सूची में नाम शामिल कराने के लिए आपत्तियां और दावे की प्रक्रिया शुरू करने की हरी झंडी दी थी और दावे और आपत्ति की प्रक्रिया 25 सितंबर 2018 से शुरू करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि ये प्रक्रिया 60 दिनों तक चलेगी.
कोर्ट ने NRC मामले में राज्य संयोजक प्रतीक हजेला को निर्देश दिया था कि वे एनआरसी के अपडेशन की चल रही प्रक्रिया से संबंधित कोई भी जानकारी सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बगैर कार्यपालिका, विधायिका या न्यायिक प्राधिकरण से साझा नहीं करेंगे. आपको बता दें कि असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट गत 30 जुलाई 2018 को जारी हुआ था जिसमें करीब 40 लाख लोग बाहर रह गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि दावा पेश करते समय व्यक्ति दस दस्तावेजों में से किसी एक या उससे ज्यादा को आधार बना सकता है. बाकी के पांच दस्तावेजों को आधार बनाए जाने पर कोर्ट ने संयोजक हजेला से 15 दिन में उनका नजरिया मांगा.
सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सभी 15 दस्तावेजों को आधार बनाने की इजाजत मांगते हुए कहा था कि असम के ज्यादातर लोग गांव में रहने वाले और कम पढ़े लिखे हैं, जो छूट गए हैं, उन्हें अपना दावा करने के लिए मौका मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वैसे तो किसी को दोबारा मौका नहीं मिलना चाहिए बात सिर्फ दस्तावेजों की जांच परख की होती है, लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वे रियायत करते हुए एक और मौका दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन पांच दस्तावेजों की इजाजत कोर्ट नहीं देना चाहता वे ऐसे दस्तावेज हैं जिन्हें फर्जी बनवाया जा सकता है. बाकी के दस दस्तावेज सरकारी एजेंसी से जारी हुए होंगे. हालांकि वे इन पांच दस्तावेजों को आधार बनाने का मामला पूरी तरह बंद नहीं कर रहे पहले वे इस पर हजेला की रिपोर्ट देखेंगे.