'लिव-इन रिलेशनशिप में ज्यादा खुश नहीं रहती हैं महिलाएं', RSS प्रमुख मोहन भागवत जारी करेंगे सर्वे
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'लिव-इन रिलेशनशिप में ज्यादा खुश नहीं रहती हैं महिलाएं', RSS प्रमुख मोहन भागवत जारी करेंगे सर्वे

सर्वे के परिणामों (Survey Report) पर विस्तृत चर्चा तो विमोचन कार्यक्रम में होगी लेकिन हम यहां आपको बता दें कि इस सर्वे (Survey) में तमाम चौंकाने वाले भी खुलासे सामने आए हैं

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय महिलाओं (Indian Women) द्वारा भारतीय महिलाओं पर किया गया अब तक का सबसे बड़ा और सबसे सटीक सर्वे (Survey) सामने आ रहा है. यह सर्वे पुणे की संस्था 'दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र' (Drishti Stree Adhyayan Prabodhan Kendra) ने की है. 29 राज्य और 5 केन्द्रशासित प्रदेश के 465 जिलों में 70 हजार महिलाओं (Women) पर हुए इस सर्वे की रिपोर्ट का विमोचन मंगलवार को खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) द्वारा किया जाएगा.

लिव-इन रिलेशनशिप पर बड़ा खुलासा
सर्वे के परिणामों (Survey Report) पर विस्तृत चर्चा तो विमोचन कार्यक्रम में होगी लेकिन हम यहां आपको बता दें कि इस सर्वे (Survey) में तमाम चौंकाने वाले भी खुलासे सामने आए हैं. अगर ऐसे परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो सबसे चौंकाने वाला तथ्य है कि सर्वे के दौरान यह बात सामने आई है कि लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रहने वाली महिलाएं दुखी और उदास रहती हैं. सर्वे के मुताबिक विवाहित महिलाएं (married women) सबसे ज्यादा खुश (happy) रहती हैं.

चौंकाने वाले हैं सर्वे के कुछ आंकड़े
सर्वे (Survey) के कुछ आंकड़े बहुत चौंका देने वाले हैं और यह साबित करते हैं कि दुनियावी सुख-संपत्ति, रिश्तों और प्रसन्नता का कोई आपसी संबंध नहीं है. ऐसी महिलाएं (Women) जिनका न तो परिवार है और न ही आमदनी का कोई साधन है फिर भी वे आनंद से जीवन जीती हैं और उनकी प्रसन्नता की दर बहुत ऊंची है. जबकि दस हजार प्रति माह वेतन वाले परिवारों की महिलाएं बहुत चिंतित और उदास रहती हैं.

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उत्तर भारत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति अभी भी नहीं है बेहतर
सर्वे (Survey) में उत्तर भारत (North India) में महिलाओं की खराब सामाजिक और आर्थिक स्थिति (Social Status) का भी खुलासा हुआ है. सर्वे के मुताबिक अभी भी उत्तर भारत की महिलाएं भारत के अन्य हिस्सों के मुकाबले आर्थिक रूप से कम आत्मनिर्भर हैं. देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले उत्तर भारत में कम महिलाओं के पास अपने स्वयं के बैंक खाते मौजूद हैं. महिला स्वास्थ्य (Women Health) से जुड़ी बात करें तो देश की महिलाओं में आर्थराइटिस (arthritis) की समस्या सबसे ज़्यादा है जो उन्हें बढ़ती उम्र के साथ और परेशान करने लगती है.

ज्वाइंट फैमिली से न्यूक्लियर फैमिली पर हो रहा है फोकस
इस स्टडी प्रोजेक्ट की डायरेक्टर डॉ. मनिषा कोठेकर ने जी मीडिया को यह भी बताया कि सर्वे (Survey) में इस बात का भी पता चला कि हमारा सामाजिक ढ़ांचा तेजी से बदल रहा है. भारत में पहले संयुक्त परिवार (Joint Family) हुआ करते थे. लेकिन बदलते परिवेश और भागदौड़ की जिंदगी में भारत के मूल्य भी बदल रहे हैं. भारत में अब लोग ज्वाइंट फैमिली की जगह न्यूक्लियर फैमली (Nuclear Family) (एकल परिवार) की तरफ बढ़ रहे हैं.

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