Surya Grahan 2018: सूर्यग्रहण के बाद नहीं करने चाहिए ये काम, नहीं तो हो सकता है नुकसान
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Surya Grahan 2018: सूर्यग्रहण के बाद नहीं करने चाहिए ये काम, नहीं तो हो सकता है नुकसान

शास्त्रानुसार सूतक या सूतक काल एक ऐसा वक्त होता है, जिस समय कोई भी काम नहीं करने चाहिए.

13 जुलाई 2018 को साल का दूसरा सूर्यग्रहण लगा है.

नई दिल्ली: साल का दूसरा सूर्यग्रहण शुक्रवार (13 जुलाई) को लग चुका है. सूर्य ग्रहण के बाद कुछ समय तक सूतक काल रहता है. दुनियाभर में सूर्यग्रहण और इसके बाद सूतक काल को अशुभ माना जाता है. हालांकि साल के दूसरे सूर्य ग्रहण का असर भारत पर आंशिक रहा है. भारतीय समयानुसार सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. 

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है. शास्त्रानुसार सूतक या सूतक काल एक ऐसा वक्त होता है, जिस समय कोई भी काम नहीं करने चाहिए. तो आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण समाप्त होने और सूतक काल खत्म होने के बाद कौन से काम करने चाहिए और कौन से काम नहीं करने चाहिए.

सूतक के बाद करने चाहिए ये काम...

-मान्‍यता के अनुसार, ग्रहण के तुरंत बाद किसी को काम को करने से पहले स्‍नान करना चाहिए.

-ग्रहण के बाद घर में म‍ंदिर में मौजूद सभी भगवानों की मूर्तियों को भी नहलाना चाहिए और उन पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.

-मूर्तियों को नहलाने और खुद नहाने के बाद पूरे घर में धूपबत्‍ती और अन्‍य हवन सामग्री जलाकर शुद्धिकरण करना चाहिए.

-घर में रखे गए तुलसी के पौधे को भी गंगाजल से स्‍वच्‍छ करना चाहिए.

-मान्‍यता यह भी है कि ग्रहण के बाद दान-पुण्‍य भी करना चाहिए.

-ग्रहण काल समाप्‍त होने के बाद स्‍नान के बाद अपने वजन के बराबर सात अनाज दान करने चाहिए.

सूर्य ग्रहण के तुरंत बाद नहीं करने चाहिए ये काम

-सूर्य ग्रहण के तुरंत बिना स्नान किए कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए

-रसोईघर में जल का छिड़काव करने के बाद ही खाना बनाना या अन्य काम करने चाहिए.

सूर्यग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा
वेदों, पुराणों और शास्त्रानुसार सूर्य और चंद्र पर लगने वाले ग्रहण का सीधा ताल्लुक राहु और केतु से है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब देवताओं को अमृत पान और दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था तब इस बात की खबर दैत्य राहु को हुई. राहु छिपकर देवता की पंक्ति में जाकर बैठ गया, लेकिन अमृतपान के बाद इस बात को सूर्य और चंद्र को उजागर कर दिया. इससे क्रोधित भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया. मगर राहु अमृतपान कर चुका था और वह निष्प्राण होने की बजाए ग्रहों की भांति हो गया.

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