पलानीस्वामी ने सोमवार को दावा किया कि करुणानिधि को स्टालिन ने ''अपने निहित स्वार्थों'' के लिए दो साल तक 'नजरबंद' करके रखा था.
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नीलगिरि: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने सोमवार को आरोप लगाया कि डीएमके सुप्रीमो एम करुणानिधि को दो साल तक घर में नजरबंद रखा गया था. पलानीस्वामी ने इस बात के संकेत भी दिये कि सरकार इस मामले की जांच करवा सकती है. पलानीस्वामी के बयान को उनके प्रतिद्वंद्वी तथा डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के जवाब के रूप में देखा जा रहा है जिन्होंने कहा था कि डीएमके अगर सत्ता में आती है तो उनकी पार्टी की सरकार पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन की परिस्थितियों की जांच कराएगी. स्टालिन ने कहा था कि ऐसी जांच से जयललिता के निधन के तथ्य के बारे में उनके सच्चे समर्थकों को जानकारी मिलेगी.
पलानीस्वामी ने सोमवार को दावा किया कि करुणानिधि को स्टालिन ने ''अपने निहित स्वार्थों'' के लिए दो साल तक 'नजरबंद' करके रखा था. ऐसे में यह ''सरकार का कर्तव्य'' है कि वरिष्ठ नेता ने अगर किसी कठिन दौर का सामना किया तो उसकी जांच करवाये क्योंकि वह स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में शिकायतें मिल रही हैं. पलानीस्वामी ने एक चुनावी रैली में आरोप लगाया कि स्टालिन ने करुणानिधि का सही तरीके से उपचार नहीं कराया क्योंकि उन्हें डर था कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री स्वस्थ होकर लौट आयेंगे तो वह पार्टी का अध्यक्ष नहीं बन पायेंगे.
उन्होंने कहा, ''करुणानिधि पूर्व मुख्यमंत्री थे. उनका उचित उपचार नहीं कराया गया और स्टालिन ने उन्हें दो साल तक घर में कैद करके रखा था क्योंकि उन्हें डर था कि अगर उनके पिता स्वस्थ हो गए तो वह पार्टी अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं.'' एआईएडीएमके के संयुक्त समन्वयक ने कहा कि चूंकि करुणानिधि राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके थे और अगस्त 2018 में निधन के समय तक वह विधायक रहे थे, ऐसे में यह ''सरकार का कर्तव्य है कि वह इस बात का पता लगाए कि क्या उन्होंने किसी कठिनाई का सामना किया.''