R N Ravi: कौन है आरएन रवि, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- 'खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझ रहे'
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R N Ravi: कौन है आरएन रवि, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- 'खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझ रहे'

Governor RN Ravi news: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने आश्चर्य जताया कि राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि कोर्ट के आदेश का पालन कराना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा.

 

R N Ravi: कौन है आरएन रवि, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- 'खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझ रहे'

CJI Justice DY Chandrachud: तमिलानाडु के राज्यपाल आरएन रवि (RN Ravi) सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए अपने आदेश का पालन कराने के लिए अल्टीमेटम दिया है. क्या है पूरा मामला बताने के लिए आपको थोड़ा फ्लैशबैक में ले चलते हैं. वो साल था 2021 और मई का महीना जब तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डीएमके ने 10 साल के एआईएडीएमके के शासन को उखाड़ फेंका था. उस जीत का नायक डीएमके संस्थापक करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन को माना गया. स्टालिन ने सीएम पद की शपथ ली और उनकी सरकार में पार्टी के सीनियर नेता पोनमुडी को मंत्रिमंडल में जगह मिली. कुछ समय बाद उनपर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगा. दोषी पाए गए और तीन साल की सजा सुनाई गई तो कुर्सी चली गई. 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

आगे समय का पहिया घूमा तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वहां से जिनकी आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने और तीन साल की सजा पर हाल ही में रोक लगने के बाद पोनमुडी को दोबारा से मंत्रिमंडल में जगह देने के लिए सीएम स्टालिन ने सिफारिश की तो राज्यपाल रवि ने इनकार कर दिया. जिसके बाद डीएमके ने यहां तक कह दिया कि रवि इस पद को संभालने के लिए अयोग्य हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें अपने आदेश की तामील कराने के लिए कहा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'रवि सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं. राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि पोनमुडी की दोबारा नियुक्ति संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगी. '

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा, 'मिस्टर अटॉर्नी जनरल, हम राज्यपाल के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं. वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं. जिन लोगों ने उन्हें सलाह दी है, उन्होंने उन्हें सही सलाह नहीं दी. ऐसे में राज्यपाल आर एन रवि को सूचित किया जाना चाहिए कि जब सर्वोच्च न्यायालय किसी दोषसिद्धि पर रोक लगाता है, तो वह अब दोषी नहीं है. अगर हमारा आदेश नहीं माना गया, तो हम राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित करेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद रवि शनिवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे पोनमुडी को शपथ दिलाएंगे. उन्होंने सरकार की सिफारिश मंजूर कर ली है. नव नियुक्त मंत्री का शपथ ग्रहण आज राज भवन में अपराह्न 3.30 बजे होगा. जिसके बाद वो तमिलनाडु के तकनीकी शिक्षा समेत उच्च शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग संभालेंगे. जो इस समय पिछड़ा वर्ग मंत्री आर एस राजाकन्नप्पन संभाल रहे हैं.

 

राज्यपाल ने किसी की बात नहीं सुनी

आरएन रवि ने पहले मुख्यमंत्री का अनुरोध अस्वीकार कर दिया. स्टालिन ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि पोनमुडी को मंत्रिमंडल में दोबारा उसी विभाग में शामिल किया जाए जिसे वह मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने से पहले संभाल रहे थे. डीएमके के राज्यसभा सदस्य एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने कहा, ‘वो बार-बार इस तरह का काम कर रहे हैं और उनमें संविधान के प्रति जरा भी सम्मान नहीं है.’

तमिलनाडु विधानसभा ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि इस मामले में अयोग्यता का नियम लागू नहीं होगा और निर्वाचन आयोग ने भी पोनमुडी के विधानसभा क्षेत्र तिरुक्कोविुलर के खाली होने की अधिसूचना वापस ले ली है.

कौन हैं आर एन रवि?

आरएन रवि का पूरा नाम रवीन्द्र नारायण रवि है. उनका जन्म 3 अप्रैल 1952 को हुआ था. रवि राजनेता और पूर्व नौकरशाह हैं. वो तमिलनाडु के 15वें राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं. रवि नागालैंड और मेघालय के गवर्नर भी रह चुके हैं. नागालैंड के राज्यपाल नियुक्त होने से पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के विशेष निदेशक के पद से रिटायर हुए थे. वो देश के उप सुरक्षा सलाहकार का पद संभाल चुके हैं. उनकी छवि एक सख्त प्रशासक के तौर पर रही है. 

आर एन रवि का जन्म पटना, बिहार में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ. साइंस फैकल्टी से ग्रेजुएशन किया. यूपीएससी में चयन हुआ. 1976 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए. उससे पहले कुछ समय तक पत्रकारिता की. वो सीबीआई में तैनात रहे. वहां तैनाती के दौरान उन्होंने खनन माफियाओं समेत कई संगठित माफियाओं पर एक्शन लिया. खुफिया एजेंसी आईबी में रहे. जहां उन्होंने बड़े पैमाने पर जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों के कई ऑपरेशंस में अहम भूमिका निभाई. 2012 में सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद, उन्होंने कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों में कॉलम लिखे. फिर राजनीति में आए. आगे उन्हें राज्यपाल बनाया गया.

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