NIT श्रीनगर में तनाव: HRD टीम आंदोलनकारी छात्रों से मिली
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NIT श्रीनगर में तनाव: HRD टीम आंदोलनकारी छात्रों से मिली

यहां स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में बुधवार को उस समय तनाव बढ़ गया, जब संस्थान में पढ़ने वाले राज्य से बाहर के छात्रों ने यहां आए केन्द्रीय दल के साथ सहयोग करने से मना कर दिया और संस्थान के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जो कथित रूप से ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधियों में शामिल हैं।

NIT श्रीनगर में तनाव: HRD टीम आंदोलनकारी छात्रों से मिली

श्रीनगर: यहां स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में बुधवार को उस समय तनाव बढ़ गया, जब संस्थान में पढ़ने वाले राज्य से बाहर के छात्रों ने यहां आए केन्द्रीय दल के साथ सहयोग करने से मना कर दिया और संस्थान के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जो कथित रूप से ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधियों में शामिल हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक तीन सदस्यीय दल आज सुबह यहां पहुंचा। उन्होंने परिसर में तनाव समाप्त करने के लिए आंदोलनरत छात्रों से बात की। इस दल में संजीव शर्मा, जो मंत्रालय में तकनीकी शिक्षा निदेशक हैं, उप निदेशक वित्त फजल महमूद और एनआईटी के बोर्ड आफ गवर्नर्स के चेयरमन एम जे ज़राबी शामिल हैं। मंत्रालय ने हालात का जायजा लेने और एनआईटी श्रीनगर में पढ़ाई कर रहे राज्य से बाहर के छात्रों की शिकायतों पर ध्यान देने के लिए इस दल को यहां भेजा है।

सूरत में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि उन्होंने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से बात की है, जिन्होंने सभी छात्रों की सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। ईरानी के अनुसार महबूबा ने उन्हें आश्वासन दिया कि एनआईटी परिसर में हुई झड़पों की जांच का आदेश दे दिया गया है।

ईरानी ने कहा, ‘मेरे अधिकारी आंदोलनरत छात्रों और उनके परिजन के संपर्क में हैं। एक या दो छात्रों ने कहा है कि वह वापस घर जाना चाहते हैं, जिसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं।’ उन्होंने छात्रों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया, जिन्हें लगता है कि आंदोलन का उनकी शैक्षणिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा क्योंकि अगले सप्ताह से परीक्षा होने वाली है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह, जो पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में प्रचार कर रहे हैं, ने कहा कि उन्होंने इस बारे में महबूबा से बात की है और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि सभी छात्र सुरक्षित हैं और वह इस बात का पता लगाएंगी कि परिसर में इस तरह की घटना क्यों हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। आंदोलनरत छात्रों ने मांग की कि एनआईटी के कुछ अधिकारियों का तबादला किया जाए और उनकी कथित ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और साथ ही उन्हें मुख्य गेट पर हर रोज तिरंगा फहराने की इजाजत दी जाए। उनकी यह भी मांग है कि परिसर को जम्मू में स्थानांतरित किया जाए और परिसर के भीतर एक मंदिर बनाया जाए।

प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित इस परिसर में पिछले सप्ताह भारत और वेस्टइंडीज के बीच टी20 प्रतियोगिता के सेमीफाइनल मैच के बाद तनाव फैल गया। इस मैच में भारत की हार के बाद कुछ स्थानीय छात्रों ने खुशियां मनाइ’ और पटाखे फोड़े। इसका दूसरे राज्यों के छात्रों ने विरोध किया, नतीजतन दोनो पक्षों में झड़पें हुई’। 31 मई की इस घटना के बाद से ही परिसर के भीतर का माहौल गर्म है और अधिकारियों ने सीमा सुरक्षा बल कर्मियों को तैनात किया है। संस्थान के मुख्य गेट पर स्थानीय पुलिस तैनात है।

इस घटनाक्रम के चलते एनआईटी अधिकारियों ने शनिवार को परिसर को बंद कर दिया, लेकिन सोमवार को इसे फिर से खोल दिया गया। कल शाम राज्य से बाहर के छात्रों ने परिसर से बाहर निकलने का प्रयास किया। उनका कहना था कि वह घर जाना चाहते हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें शांत करने का प्रयास किया, लेकिन उसके साथ धक्का मुक्की की गई, जिसके बाद हलका लाठीचार्ज किया गया, जिसमें चार छात्रों को चोट आइ’।

एनआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान के भीतर मंदिर या मस्जिद बनाने की मांग को पूरा किया जाना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी छात्र इस छोटी सी घटना के बहाने अपने गृह राज्य में माइग्रेशन चाह रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों की यह भी मांग है कि उनके पर्चे गैर स्थानीय शिक्षक जांचें ताकि सभी परीक्षाओं के दौरान समानता और पारदर्शिता बनी रहे।

राज्य से बाहर के छात्रों ने 4 अप्रैल को एनआईटी प्रशासन को एक पत्र सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि फैकल्टी द्वारा किसी तरह का शैक्षणिक शोषण नहीं किया जाए। उन्होंने पांच मांगें रखी हैं और उनका कहना है कि यह मांगे पूरी होने पर परिसर में उनका प्रवास निर्बाध हो जाएगा और वह अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

पत्र में कहा गया है, ‘परिसर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के कारण बाहरी छात्रों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और उनकी जान को खतरा है। इस वजह से छात्र अपने घरों को वापस जाना चाहते हैं।’ एचआरडी टीम के यहां पहुंचने पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मामले को चतुराई से निपटाया जाना चाहिए और राज्य सरकार को इसपर बिना किसी दबाव के कदम उठाने चाहिएं।

उमर ने ट्वीट किया, ‘एचआरडी मंत्रालय से टीम का भेजा जाना और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्थान पर सीआरपीएफ की तैनाती महबूबा मुफ्ती में दिल्ली के विश्वास की कहानी कह रही है।’ इस घटना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी ध्यान खींचा है, जिन्होंने राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार से छात्रों को परेशान नहीं करने के लिए कहा है।

केजरीवाल ने ट्वीट किया कि भाजपा उन लोगों को पीट रही है जो कश्मीर में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे हैं, जबकि देश के बाकी हिस्सों में ऐसा नारा नहीं लगाने वालों के साथ यही सुलूक किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘श्रीनगर में छात्रों पर लाठीचार्ज निंदनीय है। भाजपा..पीडीपी को इसे तत्काल रोकना चाहिए।’

इस बीच हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने आज संस्थान में राज्य से बाहर के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग के साथ ही केन्द्र सरकार से राज्य से बाहर के संस्थानों में पढ़ने वाले कश्मीर के छात्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करने को कहा। गिलानी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारी नीति और हमारा धर्म हमें यह सिखाता है कि हम धर्म, जाति अथवा भाषा के आधार पर किसी के साथ कोई बैर न रखें। अगर बाहर के छात्र यहां पढ़ते हैं तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनपर कोई आंच न आए और उनके ज्ञानार्जन के रास्ते में कोई बाधा न खड़ी की जाए।’ 

दिल्ली में करीब दो महीने तक विभिन्न बीमारियों का इलाज कराने के बाद अपने हैदरपुरा स्थित आवास पर लौटे गिलानी ने यहां एनआईटी के घटनाक्रम पर नाखुशी का इजहार करते हुए कहा, ‘हम इस तरह के हालात को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो हमारे धर्म और संस्कृति के खिलाफ हो।’ हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज राज्य का है, लेकिन ‘बदकिस्मती से भारत ने इसपर कब्जा जमा लिया है। इसे (इंजीनियरिंग कॉलेज को) एक अखिल भारतीय कॉलेज बना दिया गया और यही मौजूदा हालात की जड़ है।’ बहरहाल उन्होंने बाहरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की वकालत की।

गिलानी ने इस मौके पर राज्य से बाहर के शिक्षण संस्थानों पर पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों को होने वाली परेशानियों का जिक्र किया और इसके लिए आरएसएस, भाजपा और शिव सेना को जिम्मेदार ठहराते हुए केन्द्र सरकार से इन छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।

इस बीच भाजपा ने जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा श्रीनगर के एनआईटी परिसर में बल प्रयोग की निंदा करते हुए इस कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के साथ राज्य में सरकार बनाने के दो दिन बाद पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने दिल्ली में कहा, ‘हम बल प्रयोग की निंदा करते हैं। छात्रों पर नाहक लाठियां बरसाइ’ गइ’। यह छात्र कोई नुकसान नहीं कर रहे थे। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।’

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