Monkeypox Alert: कई देशों में मंकीपॉक्स के केस बढ़ने से भारत पर भी इस वायरस का खतरा मंडराने लगा है. इसे लेकर अब सरकार ने निगरानी रखने की बात कही है.
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Monkeypox Alert: कुछ देशों से मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब भारत में भी एहतियात बरतने की शुरुआत हो चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने निर्देश दिया है कि अब स्थितियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी. इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Center for Disease Control) और आईसीएमआर (IMCR) स्थिति पर कड़ी नजर रखेंगे.
जानकारी के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एयरपोर्ट और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया है. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, 'उन्हें निर्देश दिया गया है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा वाले किसी भी बीमार यात्री को क्वारेंटीन कर दिया जाए और सेंपल टेस्ट के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल सुविधा को भेजे जाएं.'
यूके, यूएसए, पुर्तगाल, स्पेन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. मनुष्यों में, मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के समान लेकिन हल्के होते हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, चकत्ते और सूजन लिम्फ नोड्स वाले मनुष्यों में प्रकट होता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं हो सकती हैं. यह भी गंभीर हो सकता है, WHO ने कहा कि हाल के दिनों में इस वायरस से डेथ रेट लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है.
मंकीपॉक्स वायरस घावों, शरीर के छालों से निकलने वाले सभी तरह के तरल पदार्थ (मूत्र, पसीना, स्पर्म), सांस और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री के निकट संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. WHO का कहना है कि मंकीपॉक्स एक तरह से चेचक से मिलती जुलती बीमारी है.
ICMR का कहना है कि बीमारी का संचरण मां से भ्रूण (जिससे जन्मजात मंकीपॉक्स हो सकता है) या जन्म के दौरान और बाद में निकट संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है. WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स को विशेष रूप से यौन संचरण रास्तों के जरिए ज्यादा तेजी से फैलता है.
अगर मंकीपॉक्स वायरस के बारे में बात करें तो यह पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का सदस्य है. वेरियोला वायरस (जो चेचक का कारण बनता है), वैक्सीनिया वायरस (चेचक के टीके में प्रयुक्त होने वाला) और काउपॉक्स वायरस सभी ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस के सदस्य हैं. यानी यह चेचक से मिलती-जुलती एक बीमारी है. आपको बता दें कि इस बीमारी को पहली बार 1958 में पाया गया था. यह उस दौरान हुआ जब चिकन पॉक्स का इलाज खोजने का अध्ययन किया जा रहा था. उस समय उपयोग किए जाने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी का प्रकोप देखा गया था.
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यह बीमारी चेचक के तरह ही है, लेकिन यह चेचक से कम खतरनाक है. इसमें बुखार, सिर दर्द मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन, ठंड लगना, और थकावट के साथ शुरू होती है. इस संक्रमण में तेज बुखार 1 से 3 दिनों के बीच होता है. रोगी के शरीर पर चकत्ते हो जाते हैं, जो चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं.
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