इस शख़्स ने एक साल पहले ही राष्ट्रपति के लिए रामनाथ कोविंद के नाम पर लगाई थी मुहर!
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इस शख़्स ने एक साल पहले ही राष्ट्रपति के लिए रामनाथ कोविंद के नाम पर लगाई थी मुहर!

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चल रहे तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए भाजपा ने सोमवार (19 जून) को एक अप्रत्याशित कदम में रामनाथ कोविंद को राजग उम्मीदवार घोषित किया. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुए और समाज के कमजोर तबके के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया. वह हमेशा गरीबों, पिछड़ों तथा दलितों के साथ जुड़े रहे. शाह ने उम्मीद जतायी कि उनके नाम पर सर्वसम्मति बनेगी.

भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राजग उम्मीदवार घोषित किया है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चल रहे तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए भाजपा ने सोमवार (19 जून) को एक अप्रत्याशित कदम में रामनाथ कोविंद को राजग उम्मीदवार घोषित किया. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुए और समाज के कमजोर तबके के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया. वह हमेशा गरीबों, पिछड़ों तथा दलितों के साथ जुड़े रहे. शाह ने उम्मीद जतायी कि उनके नाम पर सर्वसम्मति बनेगी.

लेकिन, राष्ट्रपति के लिए कोविंद के नाम की भविष्यवाणी पिछले साल जुलाई में ही एक वरिष्ठ पत्रकार ने कर दी थी. उन्होंने 9 जुलाई 2016 को अपने एक फेसबुक पोस्ट में... अगला राष्ट्रपति कौन होगा? के सवाल पर राम नाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगा दी थी. अपने पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा था, राम नाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से हैं और उन्होंने  भाजपा दलित ईकाई का प्रभार भी संभाला है. नीचे पढ़ें फेसबुक पोस्ट...  

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कोविंद अगर राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित हुए, जो लगभग निश्चित लग रहा है, तो के आर नारायणन के बाद 71 वर्षीय पूर्व वकील राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाले दूसरे दलित होंगे.

हालांकि भाजपा के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके कोविंद के नाम पर सर्वसम्मति बनती नहीं प्रतीत हो रही है और कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल उनका समर्थन करने को इच्छुक नहीं दिख रहे. कई दलों ने रक्षात्मक कदम उठाते हुए प्रतिक्रिया जतायी है. विपक्ष 22 जून को तय करेगा कि गोविंद के सामने कोई उम्मीदवार उतारा जाए या नहीं.

भाजपा संसदीय बोर्ड ने कई नामों पर विचार करने के बाद एक समय उच्चतम न्यायालय के वकील रहे कोविंद को उम्मीदवार के तौर पर चुना. बैठक में मोदी भी शामिल हुए थे. दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके कोविंद हिंदुत्व विचारक से ज्यादा दलितों के पैरोकार के रूप में जाने जाते रहे हैं. राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवारों के रूप में जिन नामों पर चर्चा हो रही थी, उनमें कोविंद का नाम नहीं था.

संभावित उम्मीदवारों के रूप में जिन नामों को लेकर अटकलें लगायी जा रही थीं, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तथा झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम शामिल थे. प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की तथा कोविंद के लिए समर्थन मांगा. संसद तथा विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में राजग की संख्या को देखते हुए उनकी जीत पक्की दिख रही है.

कांग्रेस और तृणमूल ने खारिज किया नाम
कांग्रेस ने राष्ट्रपति उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने की भाजपा की अपील को वस्तुत: खारिज कर दिया. कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कोविंद का नाम घोषित करने किए जाने के बाद कहा कि यह ''एक पक्षीय'' निर्णय है. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा विपक्ष से संपर्क को एक औपचारिकता और पीआर (जन संपर्क) प्रक्रिया करार दिया.

आजाद ने कहा, "उन्होंने इस निर्णय की घोषणा के बाद हमें सूचित किया लिहाजा अब आम सहमति की कोई गुंजाइश नहीं है.. हम सत्तारूढ़ पार्टी से इस तरह की उम्मीद नहीं कर रहे थे. किन्तु यह उनकी इच्छा है, वे एक पक्षीय निर्णय करने के लिए स्वतंत्र हैं.'' 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने जहां कोविंद की उम्मीदवारी पर आपत्ति जतायी वहीं उनकी पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने व्यंग्यात्मक लहजे में सवाल किया कि आप में से कितने लोगों ने आज उन्हें विकीपीडिया पर ढूंढा.
विपक्ष के एक नेता ने कहा कि वे कांग्रेस नेता और पूर्व लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार को उम्मीदवार बना सकते थे और वह भी दलित हैं.

जानिए जदयू और बसपा ने क्या कहा
इस बीच विपक्ष में कई ऐसे दल भी हैं जिन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने कोविंद को उम्मीदवार बनाये जाने पर कहा कि उनके प्रति उनकी पार्टी का रुख सकारात्मक है, बशर्ते विपक्ष की ओर से दलित वर्ग का कोई प्रत्याशी ना उतारा जाए.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत तौर पर खुशी जतायी, लेकिन पार्टी द्वारा समर्थन दिए जाने के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की. पुडुचेरी में विपक्षी दल एआईएनआरसी और आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने कोविंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की.

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