ECMO सपोर्ट के जरिए 72 दिन बाद मौत को मात देने में कामयाब रहे दो कोरोना मरीज, डॉक्टरों ने कहा 'दुर्लभ मामला'
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ECMO सपोर्ट के जरिए 72 दिन बाद मौत को मात देने में कामयाब रहे दो कोरोना मरीज, डॉक्टरों ने कहा 'दुर्लभ मामला'

तमिलनाडु में करीब 72 दिनों तक कोरोना महामारी से जूझने के बाद दो मरीज चमत्कारिक ढंग से ठीक होने में कामयाब रहे हैं. उनके जीवित बचने में ECMO नाम की चिकित्सा पद्धति का खास हाथ बताया जा रहा है. 

फाइल फोटो

चेन्नई: कोरोना महामारी (Coronavirus) और फेफड़ों से जुड़ी जटिल बीमारी की वजह कई महीने तक Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) पर रहे दो मरीज चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गए हैं. चेन्नई में सामने आए इन दोनों मामलों पर डॉक्टर भी हैरानी जता रहे हैं. 

  1. मरीजों के ठीक होने का दुर्लभ मामला 
  2. MGM Hospital में भर्ती हुआ था मरीज
  3. इम्युनिटी पावर खो देती है बॉडी

मरीजों के ठीक होने का दुर्लभ मामला 

डॉक्टरों का मानना है कि इतनी लंबी ECMO के बाद मरीजों की रिकवरी बहुत कम होती है, क्योंकि ईसीएमओ का सिफारिश केवल कुछ घंटों या कुछ दिनों की अवधि के लिए फेफड़ों के प्रत्यारोपण की तैयारी के लिए की जाती है. डॉक्टरों के मुताबिक ECMO जो शरीर के बाहर से रोगी के ब्लड को पंप और ऑक्सीजनेट करती है. इससे हार्ट और फेफड़ों से ब्लड को पंप करने का दबाव हट जाता है. 

MGM Hospital में भर्ती हुआ था मरीज

रिपोर्ट के मुताबिक शहर के MGM Hospital में पिछले 72 दिनों से एक 32 साल का कोरोना (Coronavirus) संक्रमित मरीज ECMO सपोर्ट पर था. डॉक्टरों का कहना है कि इतनी लंबी अवधि तक ECMO सपोर्ट पर रहे मरीज के जिंदा मचने का यह शायद पहला मामला है. रोगी को कोरोना (Coronavirus) होने पर 18 मई को अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसके बाद मरीज के फेफड़े खराब होने लगे. साथ ही उसे ब्लीडिंग और ENT से जुड़ी दिक्कतें भी होने लगीं. इसके बाद जून के पहले सप्ताह में मरीज को ईसीएमओ पर रखा गया था. जून के दूसरे सप्ताह में उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाकर ट्रेकियोस्टोमी टेस्ट करवाया गया. 

एमजीएम हेल्थकेयर के अध्यक्ष और हृदय विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ. केआर बालकृष्णन के अनुसार, मरीज को 13 जुलाई को उनके अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस वक्त उनके फेफड़ों में दिक्कत बढ़ चुकी थी. जिसके बाद उनकी हालत को स्थिर करने के लिए ईसीएमओ सपोर्ट पर रखने का फैसला किया गया. इसके बाद उनकी कोरोना और अन्य बीमारियों का एक-एक करके इलाज शुरू किया गया. 

इम्युनिटी पावर खो देती है बॉडी

अस्पताल के लंग डिपार्टमेंट के डॉ सुरेश राव ने कहा कि जिन रोगियों को लंबे समय तक आर्टिफिशियल तरीके से लाइफ सपोर्ट दी जाती है, वे काफी भिन्नता का अनुभव करते हैं. इससे उनका शरीर अपनी इम्युनिटी पावर खो देता है और उनका शरीर के संक्रमित होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. ऐसे मामलों में ठीक होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. ECMO पर रखकर ऐसे मरीजों के फेफड़ों और दिल का आराम देने की कोशिश की जाती है. जिससे मरीज के बाकी अंग काम करना शुरू कर सकें. डॉक्टरों के अनुसार, रोगी के शरीर ने इलाज के दौरान सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और उसकी नब्ज अभी स्थिर है.

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कुछ इसी तरह की कहानी चेन्नई के Rela अस्पताल में एक 56 वर्षीय कोरोना मरीज की भी है. वह मरीज भी चमत्कारिक ढंग से मौत को मात देकर अब ठीक हो चुका है. डॉक्टरों के अनुसार मुदिज्जा नाम के एक मरीज को अप्रैल के अंत में कोरोना (Coronavirus) संक्रमण होने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद उन्हें सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गई. उन्हें कोरोना के साथ ही मध्यम स्तर का निमोनिया भी हो गया था. उन्होंने कहा कि कमरे की हवा में उनका ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर (Sp02) 92% था. जबकि उन्हें सांस लेने के लिए प्रति मिनट 15 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता थी. इसके बाद डॉ सी अरुमुगम ने उन्हें ECMO सपोर्ट देने का फैसला किया. 

50 दिनों बाद रोगी ने सुधार करना शुरू किया

डॉ सी अरुमुगम के अनुसार, 50 दिनों तक ECMO पर रहने के बाद, रोगी ने सुधार करना शुरू कर दिया और फेफड़े भी काम करने लगे हैं. जिसके बाद उनके फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बिना इलाज करने का फैसला किया गया. ECMO पर रखने के 54वें दिन सीटी स्कैन से मरीज की हालत में सुधार दिखाई दिया. जिसके बाद धीरे-धीरे उनकी लाइफ सपोर्ट को कम करना शुरू कर दिया गया. इसके बाद जुलाई के अंत तक उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया. 

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