उद्धव की 'कुर्सी' खतरे में, PM मोदी से की फोन पर बात; गवर्नर पर टिकीं सबकी निगाहें
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उद्धव की 'कुर्सी' खतरे में, PM मोदी से की फोन पर बात; गवर्नर पर टिकीं सबकी निगाहें

उद्धव के मनोनीत एमएलसी बनने की कोशिशें को लेकर प्रदेश के बीजेपी नेताओं की बयानबाजी ने उनकी की चिंता और बढ़ा दी है. 

 

मुख्यमंत्री कुर्सी बचाने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले प्रदेश के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करनी जरूरी है..

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) जल्द ही विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है. दरअसल, मुख्यमंत्री कुर्सी बचाने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले प्रदेश के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करनी जरूरी है और विधान परिषद की एक सीट पर मनोनीत सदस्य बनाने के लिए महाराष्ट्र की कैबिनेट ने गवर्नर  को दो-दो बार अपनी सिफारिशें भेजीं लेकिन राजभवन ने खामोशी ओढ़ रखी है. 

सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से इस बारे में चर्चा की है. महाराष्ट्र में सियासी संकट गहरा रहा है और उनके मनोनीत एमएलसी बनने की कोशिशें को लेकर प्रदेश के बीजेपी नेताओं की बयानबाजी ने सीएम ठाकरे की चिंता और बढ़ा दी है. शिवसेना नेताओं की मानें तो प्रधानमंत्री की मध्यस्थता पर राजभवन इस बाबत जल्द फैसला ले सकता है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर प्रदेश में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी. इस लिहाज से मुख्यमंत्री कुर्सी पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले तक प्रदेश के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करनी होगी. 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत  किसी भी सदन से जुड़े ना होने के बावजूद भी कोई भी शख्स 6 महीने तक मंत्रिमंडल में मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता है. और अब इन बदले राजनीति माहौल में ठाकरे को 28 मई तक किसी भी एक सदन का सदस्य बनने की संवैधानिक बाध्यता है अन्यथा उन्हें मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.

दरअसल, महाराष्ट्र में बीते 26 मार्च को प्रदेश में 9 विधान परिषद सीटों पर चुनाव होना था लेकिन सूबे में कोर्ना संक्रमण के बढते खतरे की वजह से चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है. ठाकरे कैबिनेट ने 9 अप्रैल को भी महाराष्ट्र के गवर्नर को उद्धव को एमएलसी मनोनीत करने की सिफारिशी चिठ्ठी राजभवन को भेजी थी. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्यपाल को कुछ निश्चित संख्या में विधान परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का संवैधानिक अधिकार हासिल है. 

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एनसीपी के विधायकों के इस्तीफे की वजह से दो सीटें खाली हुई थीं जो पिछले साल के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. सीएम ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने को लेकर महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने अबतक कोई फैसला नहीं लिया है और इन दोनों नामांकित एमएलसी के कार्यकाल 6 जून को समाप्त हो रहे हैं. राजभवन की खामोशी को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे अगुवाई वाले गठबंधन महा विकास आघाडी की चिंता बढ़ गई है.

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